"नही तो क्या? उन्होने पूर्व-पश्चिम शिखर वार्ता के लिए सोवियत प्रस्ताव का समर्थन किया और नेहरू की इस योजना का स्वागत किया कि व्यापक सहार के अस्त्रो से मुक्त एक क्षेत्र की स्थापना की जाय और उसका विस्तार किया जाय। उन्होने यह भी कहा कि अमेरिका और उसके समर्थको को अब समझ लेना चाहिये कि अन्तर्राष्ट्रीय राजनीति मे अब वे दूसरो से अपने आदेश नही मनवा सकते।"
"बेशक, राष्ट्र संघ भी अब अन्तरिक्ष अभियानो मे दिलचस्पी ले रहा है। कल रात राष्ट्र संघ के अध्यक्ष सर लैसली मुनरो ने ऐसा संकेत किया है कि बाह्य आकाश पर अधिकार के प्रश्न पर विचार करने के लिए कूटनीतिज्ञो मोर वैज्ञानिको को राष्ट्र संघीय सम्मेलन बुलाने आवश्यक है।"
हॉ, अब वे सोचने लगे है कि अन्तरिक्ष के सम्बन्ध मे कूटनीतिक विचार-विनिमय ब्रिटेन-रूस-अमेरिका के राजनीतिज्ञो मे होना चाहिए क्योकि अब चन्द्रमा को स्पूतनिक और राकेट छोडे जा चुके है। अब तक कोई राष्ट्र अपने ऊपर के आकाश पर अधिकार का दावा नहीं कर सकता था क्योकि अभी आकाश की परिभाषा ही निर्णीत नही हुई थी। परन्तु बाह्य आकाश चूकि रचनात्मक अन्तर्राष्ट्रीय उपयोग किया जा रहा है, यह प्रश्न सब राष्ट्रो के लिए महत्वपूर्ण बन रहा है।" जोरोवस्की ने कहा।
भूदेव ने कहा—"हाल ही मे जो वार्ता कम्युनिस्ट नेता खुश्चेव और ब्रिटेन के प्रधान मन्त्री मेकडानल्ड के बीच हुई है, उससे भी यह प्रकट होता है कि ब्रिटेन भी अब इस बात के लिए उत्सुक है। साधारणत निकट भविष्य मे जो उच्चस्तरीय शिखर सम्मेलन किये जाने है, उनमे अवश्य ही यह प्रश्न भी उठाया जायगा।"
"निस्सदेह। वास्तव मे यह प्रश्न भी निश्शस्त्रीकरण से कुछ कम नही है। पूछा जाय तो परस्पर दोनो प्रश्न सम्बन्धित है।" प्रोफेसर ने कहा।
"यही मैं भी समझता हूँ, पर आपको यह भी मालूम है कि अमेरिका और ब्रिटेन मे जो यह बेचैनी और उत्सुकता फैली है, इसका असल कारण क्या है?"