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खग्रास

उपयोग बिजली का उत्पादन है। मैने उत्तरी इंग्लैंड मे काल्डर हाल कारखाने को इस प्रकार की बिजली का उत्पादन करते हुए देखा है। सम्भवत इतिहास मे प्रथम बार ही व्यापारिक रूप में इतनी अधिक मात्रा मे आणविक विधि से बिजली उत्पन्न की गई है।" भूदेव ने स्मिथ के समर्थन मे कहा।

लिजा ने कहा—"प्रौद्योगिक विकास के लिए तो विश्व मे बिजली का महत्वपूर्ण स्थान है ही।"

"खास कर भारत जैसे विकासोन्मुख राष्ट्र के लिए तो इसका महत्व और भी अधिक है।" भूदेव ने कहा।

"बेशक, बेशक। क्योकि ईधन के प्रचलित स्रोत कोयला, तेल, गैस और जलवाष्प अब संसार की आवश्यकताओं की पूर्ति नही कर सकते। आपको शायद पता नही कि अमेरिका ७ हजार खरब किलोवाट बिजली प्रति वर्ष उत्पन्न करता है।" स्मिथ ने कहा ।

"परन्तु विश्व की आबादी में प्रति वर्ष साढे तीन करोड की वृद्धि हो रही है। ऐसी दशा मे जब हम सब विकास की दिशा मे और अग्रसर होगे, तब तो बिजली की बहुत अधिक मांग बढ जायगी। और 'पुराने ईधन' अपर्याप्त प्रमाणित होगे। दुनिया भर की समस्त नदियाँ इस कमी की पूर्ति नही कर सकेगी। कदाचित् केवल अणुशक्ति ही इस कमी की पूर्ति कर सके।"

"बेशक, सात किलोग्राम—आधा सेर से कुछ अधिक—विशुद्ध आणविक ईंधन की शक्ति दस हजार टन कोयले के समान है। आपको यह जानकर प्रसन्नता होगी कि अमेरिका मे व्यापारिक बिजली कम्पनियो ने आणविक बिजली घर स्थापित कर लिए है। और पेन्सिलवेनिया के निकट ६३,००० किलोवाट का एक आणविक बिजली घर काम कर रहा है और अब हम शिकागो के निकट ड्रेसडन मे एक ऐसे प्राणविक बिजलीघर बनाने का प्रारम्भ कर रहे है जिसमे एक लाख ८३ हजार के लगभग किलोवाट बिजली उत्पन्न हो सकेगी।" स्मिथ ने कहा।