यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
३२४
खग्रास


"कदाचित् अमेरिका को भय था कि रूस उसका प्रतिद्वन्द्वी होकर रहेगा।" जोरोवस्की ने मुस्करा कर कहा।

"उस समय तक तो अमेरिका ही को 'अणुशक्ति' पर एकाधिकार प्राप्त था। रूस ने तो १९४६ मे अणु-बम बनाने की घोषणा की थी।"

"आप क्या यह कहना चाहते है कि अमेरिका अणुशक्ति को विनाशकारी कार्यो मे लाने के सर्वथा विरुद्ध है?" प्रोफेसर ने जरा तीखी नजर से स्मिथ को देखा।

"हम अणुशक्ति संस्था के द्वारा कल्याणकारी परीक्षणो तथा अन्य देशो के लिए विखण्डनीय सामग्री देने को प्रस्तुत है। हमने रूस, पुर्तगाल और दूसरे देशो को ५,००० किलोग्राम यूरेनियम २३५ दिया है और अब हम एक लाख किलोग्राम यूरेनियम की नई किश्त दे रहे है ।" स्मिथ ने दर्प से कहा।

"क्या यह मात्रा बहुत अधिक है?" लिजा ने संदेह के स्वर मे कहा।

"अणुशक्ति चालित हमारी पनडुब्बी 'नोटिलस' को संसार का चक्कर लगाने के लिए तीन या चार किलोग्राम की मात्रा ही पर्याप्त है। इसी से समझ लीजिए।"

"क्या इस अणुशक्ति को घरेलू कार्यों मे भी उपयोग नही किया जा सकता?" लिजा ने पूछा।

"क्यो नही। अमेरिका अपने संग्रह मे से एक लाख किलोग्राम अथवा १११ टन विखण्डनीय सामग्री विद्युत् उत्पादन अथवा अनुसन्धान कार्यों के लिए घरेलू और विदेशी उपभोक्ताओं को प्रदान कर चुका है। साथ ही दर्जनो देशो को आणविक शिक्षण और आणविक साहित्य की भेट उसने दी है। इसके अतिरिक्त अमेरिका विश्व भर के स्वतन्त्र लोकतन्त्री राष्ट्रो को रेडियो-आइसोटोप भी भेज रहा है जो अनुसन्धान और चिकित्सा की दृष्टि से बडे महत्वपूर्ण है।" स्मिथ ने कहा।

"हाँ, मुझे ज्ञात है। भारत को भी इस प्रकार के रेडियो आइसोटोप मिले है। परन्तु मै समझता हूँ कि अणुशक्ति का सबसे अधिक जनकल्याणकारी