"और काश्मीर पर जो भारत ने सेना की कार्यवाही की?"
"हम अभी इस धक्के को न सम्हाल पाए थे कि हमारी स्थल और वायु सेना को काश्मीर की रक्षा के लिए जाना पड़ा। वह भी एक भयावनी स्थिति थी। दुर्दमनीय कबायली आक्रमणकारी श्रीनगर के आस-पास पहुँच चुके थे। सब स्थल मार्ग बन्द हो चुके थे। इधर यह उलझन थी ही उधर रजाकारो ने हैदराबाद मे उत्पात और अत्याचार की पराकाष्ठा कर दी थी। अन्तत हमे सर्वत्र शान्ति स्थापना मे पूरी सफलता प्राप्त हुई। साथ ही हमने सेना का नए सिरे से संगठन भी कर डाला। सयुक्त राष्ट्र संघ के निमन्त्रण पर भारत ने मिश्र मे एक दस्ता अपनी सेना का भेजा, हिन्दचीन के तीन राज्यो—वियतनाम, लाओस और कम्बोडिया में काम करने वाले अन्तर्राष्ट्रीय निरीक्षण तथा नियन्त्रण आयोगो के साथ भारतीय सेनाओ के दस्तो ने जो काम किए तथा कोरिया में भारतीय सेना ने जो बहुमूल्य सेवा की, वह इतिहास की अविस्मरणीय घटना है।"
भूदेव कुछ देर को रुके। फिर उन्होने कहा—"भारत को आप अपने साढे तीन हजार मील लम्बे समुद्र तट की रक्षा करनी है। इसलिए यह आवश्यक है कि वह संसार की बडी समुद्री शक्ति बन जाय। विभाजन के बाद भारतीय नौ सेना को शाही नौसेना से अफसर उधार लेने पडे थे, परन्तु बाद मे भारत सरकार ने बड़ी तेजी से भारतीय अफसरो को इस योग्य बना लिया कि वे स्वदेश रक्षा के भार को सम्भाल सके। देश विभाजन के बाद भारतीय नौ सेना के पास एक भी प्रशिक्षण संस्थान नहीं बचा था। सब सस्थान कराँची मे थे और वे पाकिस्तान मे चले गये थे। परन्तु शीघ्र ही इस कमी की पूर्ति कर ली गई, और नौ सेना को आधुनिक यन्त्रो और उपकरणो से सज्जित कर लिया गया। नौ सैनिक वायु टुकडी नौसेना की सबसे नई शाखा थी। परन्तु इस शाखा को बड़ी तत्परता से सम्पन्न कर लिया गया और बहुत से विमान सग्रह कर लिये गये तथा नौ सैनिक उड्डयन केन्द्र को आधुनिकतम साज सज्जा से सज्जित कर लिया गया। तब से निरन्तर नो सेना का विस्तार किया जा रहा है। साथ ही तटीय प्रशिक्षण केन्द्र भी स्थापित किये जा रहे