यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
३०६
खग्रास


"पाकिस्तान के प्रत्येक प्रधान मन्त्री ने बहुत जोर मारा पर पाकिस्तान की उलझने उलझती ही गई। अब सेना का बल अपनी पीठ पर लाद कर खड़े होने वाले मियाँ अयूब ने संविधान को गोली मार कर प्रत्येक वस्तु को प्रातक से उत्पन्न करने का मार्ग ढूंढ निकाला है। सुबहान अल्लाह।"

'पाकिस्तानी अखबार कह रहे है कि दिल्ली की खोट तो इतने बडे इन्कलाब के बाद भी नही दूर हुई। सेना के हटते ही फिर जैसे का तैसा हो जायगा।"

"मतलब यह कि महीनो तक दूर से ढोल पीटने के बाद मियाँ अयूब ने उस विशाल खण्डहर मे प्रवेश करके उसे साफ कर डालने की घोषणा की है जो अब तक बड़े-बड़ो के लिए राजनीतिक कब्रिस्तान बन चुका था।"

"तो आप समझते है कि पाकिस्तान मे प्रजातन्त्र उसी राजनीतिक कब्रिस्तान मे दफना दिया गया?"

"नही तो क्या, देख लेना पाकिस्तानी सेना भी समझ लेगी कि मियाँ अयूब पाकिस्तान के माथे से पश्चिमी देशो के अनुगमन का काला टीका नही मिटा सके और तब उसमे विद्रोह फूट पडेगा। आखिर पाकिस्तान के तरुणो की रंगो मे भी तो कोरा पानी नही है, लोहू है।"

"क्या विदेश नीति के विरुद्ध उठी इस भावना को फुसलाने के उद्देश्य से ही मार्शल टीटो की पाकिस्तान-यात्रा का प्रचार किया गया था?"

"तुम समझदार हो। समझदार को इशारा ही काफी है। अब श्रीलंका और सयुक्त अरब संघ से भी सुखद समाचार लाए गए है और कहा जा रहा है कि अरब संघ मे सम्मिलित देशो और पाकिस्तान के मध्य भ्रान्तियो की जो दीवार थी, वह अब बीती बात हो गई है और पाकिस्तानी क्रान्ति के बाद अरब संघ का दृष्टिकोण बदल गया है।"

"इधर पूर्वी पाकिस्तानी प्रशासक मेजर-जनरल उमरावखॉ भारत पर नज़ला ढा रहे है। उनका कहना है कि पाकिस्तानी क्रान्ति के बाद भारतीय सैनिक इच्छामती नदी के चार द्वीपो पर अधिकार कर चुके है।"