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खग्रास

और लीजिए इस भू-उपग्रह को पृथ्वी की कक्षा मे १०० मिनटो मे भू-परिक्रमा करते हुए देख भी लीजिए।" उसने जरा स्विच का स्पर्श किया और अनन्त ब्रह्माण्ड के बाह्याकाश मे विचरण करता हुआ भू-उपग्रह हीरक विन्दु की भॉति दीख पडने लगा। तिवारी विमूढ की भॉति देखते रहे। फिर उन्होने कहा—"आप क्या समझती है, विज्ञान के मामले में अमेरिका रूस से बाजी ले जायगा?"

"अभी से कैसे कहा जा सकता है, परन्तु कदाचित् ससार को अभी रूस की प्रगति का सही पता नही है। वहाँ के प्रसिद्ध ज्योतिर्विद निकोलाई कोजीरेव पापा के घनिष्ट मित्र है, और अब भी उनसे पापा का विचार विनिमय होता रहता है। वे और उनके साथी बडी भारी तैयारी कर रहे है, जिसे देखकर संसार आश्चर्य विमूढ हो जायगा।"

"क्या वे चन्द्रमा तक पहुँचने की तैयारी कर रहे है?"

"चन्द्रमा तक तो वे पहुच भी चुके। परन्तु अभी यह बात गुप्त रखी गई है।"

"क्या चन्द्रमा मे मनुष्य जीवित रह सकता है?"

"पापा का विश्वास है कि अवश्य रह सकता है। इस सम्बन्ध मे तो कल ही उनसे डा॰ निकोलाई से देर तक बाते होती रही है। निकोलाई कोजीरेव ने चन्द्रमा के हाल ही मे कुछ चित्र लिए थे। उन्ही के आधार पर वे कह रहे थे कि जैसा खयाल किया जा रहा है, चन्द्रमा पूर्णत ठण्डा और जीवनहीन नही है। उन्होने पापा का यह मन्तव्य भी अब मान लिया है कि चन्द्रमा पर ज्वालामुखी के विस्फोट हुए है। इस सम्बन्ध मे पापा की बहुत-सी बातचीत कैलिफोर्निया के प्रसिद्ध वैज्ञानिक और माउन्ट विल्सन की वेधशाला के अध्यक्ष डा डिसमोर वर्कले से भी होती रहती है। पापा जब अमेरिका मे थे, तब बराबर डा॰ वर्कले उनसे सलाह मशवरा करते रहते थे। वही सिलसिला अब भी जारी है। उनका भी अब यही मत है कि चन्द्रमा अब गर्म नही है। पापा का कहना है कि चन्द्रमा वास्तव मे एक प्राचीन ज्वालामुखी है जो सम्भवत दस करोड वर्ष पुराना है। अब भी उसमे थोडी गैस बची है।