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खग्रास

इस बार इस मण्डली में भूदेव शर्मा भी मिल गए थें। यद्यपि इन मित्रों की मुलाकात सन्देह और भ्रान्ति के वातावरण में हुई थी। परन्तु अब वे सब गहरे मित्र बन चुके थें। और यहाँ आराम से अपनी विकट यात्राओं की थकान मिटा रहे थें। अक्सर इन मित्रों में राजनैतिक वार्तालाप होते रहते थें जो अन्तर्राष्ट्रीय धरातल पर होते थें। खास कर भूदेव और स्मिथ से गहरी-गहरी राजनीतिक चर्चाएँ होती रहती थी।

शाम का समय था। हवा हलकी थी और दोनों दोस्त लाउज पर बैठे चाय की चुस्की चढ़ा रहे थें। भूदेव ने कहा—

"लीजिए जनाब, पूर्वी एशिया में आग सुलगनी शुरू हो गई।"

"क्या हुआ?"

"आपने सुना नहीं, थाईलैण्ड के लोह पुरुष सरित तनरथ की हत्या के षडयन्त्र में कुछ लोग गिरफ्तार हुए हैं। इनमें वायु सेना और जल सेना के ऊँचे अधिकारी भी है। दो भूतपूर्व मन्त्री भी हैं। कुछ समाचारों पर भी पाबन्दी लगाई गई है।"

"तो इससे आप किस निष्कर्ष पर पहुँचे है।"

"उस दिन मैंने कहा था न कि थाईलैण्ड के कुछ पत्रों में अमेरिकन पूँजी लगी हुई है।"

"हाँ हाँ, मुझे याद है। पर मुझे विश्वास नहीं हुआ था, मैंने समझा कि आप यो ही वे पर की उड़ा रहे हैं।"

"आप जो चाहे समझे। समझ आपके घर की है। परन्तु अब इस बात में कुछ भी सन्देह नहीं रह जाता कि पाकिस्तान की भाँति थाइलैण्ड में भी जल और वायु सेना स्थल सेना के सर्वेसर्वा द्वारा की गई क्रान्ति से खुश नहीं है।"

"यह हो सकता है?"

"कमाल करते हैं आप, अभी आप जैसे सो ही रहे हैं। अजी अनाब, थाईलैण्ड के पड़ौसी कम्बोडिया के साथ जो सीमा विवाद वर्षों से चल रहा