उत्पन्न हो सकता था न जीवित रह सकता था, इसलिए मकान के निवासी न रोगी होते थें, न दवादारू का इस्तेमाल करते थें।
हार्वड विश्व विद्यालय के डा॰ कैरोल एम॰ विलियम्स इस मकान में सपरिवार रहते थें। मकान के सम्मुख एक फूलों का सुशोभन बगीचा था जहाँ वैज्ञानिक विधि से मिट्टी के प्लास्टिक पात्रों में विविध रंग-बिरंगे फूलों के पौदे लगे थें। डाक्टर विलियम्स एक असाधारण वैज्ञानिक थें और वे अमृत रस (हार्मोन) की खोज गत बीस वर्षोंं से कर रहे थें। बीस वर्षों के अनवरत परिश्रम के बाद वे अपने प्रयास में सफल हो पाए थें। अमृत रस की उन्हें उपलब्धि हो चुकी थी। डाक्टर विलियम्स बड़े असावधान से व्यक्ति थें, वे अपनी गवेषणाओं में इस कदर डूबे रहते थें कि अपने आप की सुध भी उन्हें नहीं रहती थी।
उस दिन देर तक वे अपनी प्रयोगशाला में व्यस्त रहे। इसी समय उनकी पत्नी ने द्वार खटखटाया।
अपनी परीक्षण नालिका से बिना ही सिर उठाए उन्होंने कहा—भीतर आ जाओ।"
पत्नी ने भीतर आकर कहा—"आज तो आप को डाक्टर कोल्टन से मुलाकात करने जाना था। क्या भूल गये?"
"ओह! मुझे तो याद ही नहीं रहा। कब चलना है?"
पत्नी ने घड़ी की ओर देखकर कहा–"ट्रेन का समय तो हो गया है।"
"तो चलो, भई बड़े मजेदार है डाक्टर कोल्टन, बड़े अनोखे है उनके आविष्कार। देखोगी तो"
"लेकिन आपका सूट तो बहुत गन्दा हो गया है।"
"तो लाओ बदल लूँ।"
"लेकिन अब समय कहाँ है?"