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खग्रास

ही हैं। सब से नीचे की पट्टी स्टेपीज का निचला मैदान है जो पश्चिम में चौड़ी है और जैसे-जैसे पूर्व की ओर चले, पतली होती जाती है। सुदूर पूर्व का प्रदेश अधिकतर पहाड़ी है। और पहाड़ियाँ उत्तर से दक्षिण की ओर प्रशान्त महासागर के समानान्तर फैली हुई है। रूसी जारशाही में केवल दक्षिणी पट्टी का ही थोड़ा बहुत विकास किया गया था। मास्को से ब्लाडी-वोस्टक तक जो रेल जाती है वह तेरह दिन में ब्लोडी-वोस्टक पहुँचती है। यह रेल इसलिये बनाई गई थी जिससे सुदूर पूर्व में फौजी नाके बन्दी मजबूत हो जाय।

साइबेरिया प्रदेश जो, कभी रूस का कालापानी था, जहाँ जार के परम शत्रु जीवन की विभूतियों से वंचित रह कर वहाँ की ठण्डी जेलों में सड़-सड़ कर मर जाते थें, आज वह रूस का प्रमुख औद्योगिक प्रदेश बनता जा रहा है। श्री भूदेव प्रात आठ बजे मास्को से उड़े और ४ घण्टे बाद पश्चिमी साइबेरिया के प्रमुख नगर ओमस्क बारह बजे पहुँच गये। उन्होंने नाश्ता मास्को में किया था और बारह बजे ३६ सौ क्लिोमीटर के अन्तर पर ओमस्क में पहुँच कर भोजन किया। सारा नगर आधुनिक साज सज्जा से सुशोभित और मीलों तक फैले हुए कारखानों, फर्मों और बिजलीघरों से भरपूर है। नगर को देख कर श्री भूदेव अत्यन्त प्रभावित हुए। और उन्होंने एक दिन ठहर कर आवश्यक तथ्य एकत्र कर लिए। दूसरे दिन वे पूर्वी साइबेरिया के प्रमुख नगर इटकुत्सक कुछ ही घण्टों में जा पहुँचे। ओमस्क नगर की आबादी द्वितीय विश्वयुद्ध से पहले लगभग एक लाख थी, परन्तु अब बढ़ कर ८ लाख हो गई थी। द्वितीय युद्ध काल में सोवियत संघ के योरोपीय क्षेत्रों के बड़े-बड़े कारखानें उखाड़ कर पश्चिमी साइबेरिया में लाए गए थें। इसके बाद ही साइबेरिया में औद्योगीकरण का सूत्रपात हुआ। शहर की बढ़ती हुई आबादी इसका प्रमाण था। ओमस्क शहर में वे सब सुख-सुविधाएँ वहाँ के निवासियों को प्राप्त है जो योरोप के किसी भी बड़े नगर में सुलभ होती है। जाड़ों में यहाँ का तापमान शून्य से २० डिग्री गिर जाता है। और चारों ओर बर्फ जम जाती है। परन्तु यह जुलाई का सुखद मौसम था और यहाँ का ताप ४० डिग्री फैरनहीट था। इस भू-भाग का धरातल अत्यन्त नीचा समुद्र सतह