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खग्रास


डाक्टर रोजर रेवेल ने कहा—"नहीं। समुद्री जल के परिभ्रमण के सम्बन्ध में बहुत ही कम जानकारी हमें प्राप्त हुई है। कोई व्यक्ति यह नहीं जानता कि उन गहरी नदियों को ध्रुवों से भूमध्य रेखा तक पहुँचने तथा पुनः ध्रुवों तक लौटने में १०० वर्ष लगते हैं या दस वर्ष।"

"परन्तु विश्व के वैज्ञानिक गहरी समुद्री जलगत इन नदियों की गतियों के सम्बन्ध में जानकारी प्राप्त करने में इतने उत्सुक क्यों हैं?"

"इसके दो महत्वपूर्ण कारण है। एक तो यह कि इन गहरी समुद्री नदियों के सम्बन्ध में अधिक जानकारी प्राप्त होने से ऋतु सम्बन्धी दीर्घकालीन भविष्यवाणियों से सुधार करने की दृष्टि से महत्वपूर्ण सहायता मिलेगी। क्योंकि शीत जल की गतिविधियों से विस्तृत क्षेत्रों के मौसम पर प्रभाव पड़ सकता है।"

"और दूसरी बात?"

"दूसरी बात यह कि समुद्रों की उर्वराशक्ति गहरे जल तथा समुद्र की सतह के जल से परस्पर विनिमय पर निर्भर करती है। यही कारण है कि जहाँ समुद्रों की सतह के जल तथा गहरी तरङ्गों के जल का विनिमय होता है, वहाँ मछलियाँ तथा अन्य खाद्य सामग्री कम मात्रा में प्राप्त होती है और जहाँ वह विनिमय अधिक होता है, वहाँ अधिक मात्रा में मछलियाँ और खाद्य सामग्री प्राप्त होती है।"

"तब तो समुद्रों से प्राप्त होने वाली सम्भावित खाद्य-सामग्री के सम्बन्ध में पूरा-पूरा अनुमान लगाने के लिये हमे इन रहस्यपूर्ण गहरी तरङ्गों की गतिविधियों को जानना अत्यन्त आवश्यक है।"

"यही बात है मित्रों।" डाक्टर ने सन्तोष के स्वर में कहा।

एक्सप्लोरर की प्रतिक्रिया

जिस समय अमरीकी उपग्रह एक्सप्लोरर आकाश में छोड़ा गया था, उस समय आइक आगुस्टा गये हुए थें तथा डलेस अभी अकारा में ही थें। उपग्रह की सफलता से सारे ही नाटो संगठन के राष्ट्रों में आशा और उल्लास