"इससे हमें क्या लाभ होगा? एक वैज्ञानिक ने शंका की।
डाक्टर सिगर ने हाथ के संकेत से उन्हें रोक कर कहा—"यही मैं कह रहा हूँ। पृथ्वी पर उद्जन बमों का परीक्षण करने में अनेक असुविधायें और रुकावटे भी है। वे रुकावटे भौतिक भी है और राजनैतिक भी। इसके अतिरिक्त पृथ्वी पर यह काम अति व्यय साध्य और दुरूह भी है। किन्तु चन्द्रमा में कोई वायुमण्डल नहीं है। इसलिए उद्जन बम विस्फोट का अध्ययन स्पष्ट रूप से तथा सूक्ष्मता से किया जा सकता है।"
"क्या यह अध्ययन पृथ्वी से किया जा सकता है?"
"पृथ्वी से यद्यपि चन्द्रमा की दूरी २ लाख ४० हजार मील है, फिर भी यह अध्ययन पृथ्वी पर से किया जा सकता है।"
"क्या अन्तरमहाद्वीपीय प्रक्षेपणास्त्र से यह कार्य होना सम्भव है?"
"नहीं, चन्द्रमा को जाने वाले राकेट की गति, अन्तरमहाद्वीपीय प्रक्षेपणास्त्र की अपेक्षा ४० प्रतिशत अधिक रहनी चाहिये। इस राकेट की गति २४ हजार मील प्रति घण्टा होनी चाहिये।"
"कुछ दिन पूर्व जो 'पायनियर तृतीय', हमने बाह्य अन्तरिक्ष में भेजा था, क्या उसके राकेट की इतनी ही गति थी?"
"नहीं। उसके राकेट जुनो जुनो की गति इतनी नहीं हो पाई।"
"यदि चन्द्र राकेट असफल हुआ तो उसका क्या परिणाम होगा?"
"तीन परिणाम हो सकते हैं। यदि राकेट की गति २५ हजार मील प्रतिघण्टा से अधिक है तो वह बाह्य अन्तरिक्ष में घूमने लगेगा, पर यदि उसकी गति इससे कम है, तो यह पृथ्वी का उपग्रह बन जायगा। एक सम्भावना यह भी है कि राकेट गति न पाकर पृथ्वी के वायु मण्डल में प्रविष्ट होकर जल जायगा।"
"क्या राकेट की गति के कुछ कम—अधिक होने से कुछ अन्तर पड़ता है?"