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खग्रास

कक्ष में अति प्रचण्ड ताप उत्पन्न हो जाता है। यह ताप इतना असह्य और प्रचण्ड होता है कि सभी धातुओं और मिट्टियों को जला डालने की क्षमता रखता है। राकेट भी इस ताप को देर तक सहन नहीं कर सकता। इसलिए उसकी दीवारों को ठण्डा बनाए रखने की खास व्यवस्था रखनी पड़ती है। राकेट की मोटर का दहन कक्ष ऐसा बना होता है कि वह चारों ओर एक प्रकार के खोल से ढका रहता है। इससे मोटर के दहन कक्ष के बाहरी खोल को भेद कर प्रविष्ट होने वाला तरल ईंधन उस सम्पूर्ण ताप को ग्रहण करने में समर्थ होता है जो दहन के फल-स्वरूप मोटर की भीतरी खाल अर्थात् दहन कक्ष की दीवार में भर जाता है। इस प्रकार अन्तरिक्ष में राकेट का उड़ना और स्थिर रहना कायम होता है।"

"यह तो अभूतपूर्व बात है।"

"है ही।"

"वेनगार्ड राकेट में, जिसके द्वारा अमेरिका ने दूसरा उपग्रह छोड़ा था, कोई विशेषता थी?"

"एक विशेषता यह थी कि इसमें एक ट्रान्समीटर ऐसा लगाया गया था जो सूर्य शक्ति की सहायता से वर्षों तक चलता रहे तथा निरन्तर सन्देश प्रसारित करने में सक्षम रहे। दूसरा ट्रान्समीटर सामान्य बैटरियों से चल रहा था, जो खास तौर पर उपग्रह के अन्दर विद्यमान तापमान सम्बन्धी सूचनायें प्रसारित करने के उद्देश्य से था। सूर्य शक्ति द्वारा चालित बैटरियों की संख्या छै थी। उनका निर्माण फोर्ट मनमाउण्ट (न्यूजर्सी) स्थित सलामी इन्जीनियरिंग परीक्षण शाला में हुआ था। ये बैटरियाँ उपग्रह में अल्यूनियम की खोल के अन्दर काँच मण्डित एक खिड़की के सामने इस प्रकार फिट की गई थी कि कम से कम एक बैटरी सदैव सूर्य के सामने रहे। अपनी कक्षा में पृथ्वी की परिक्रमा करते हुए यह उपग्रह लगभग ५४ मिनट पृथ्वी की ओट में रहता था। सूर्य शक्ति चालित बैटरी में सिलिकोन की १८ अत्यधिक पतली परतें रखी गई थी। ऋण और धन विकृत क्षमता वाली ये परतें सूर्य की किरणों को विद्युत शक्ति में बदल देती थी। यह बैटरी केवल २ वर्ग इन्च