डाक्टर स्काट ने फिर एक बार अपने चश्मे को साफ करके नाक पर चढ़ाया। फिर उसने कहा—"यह एक समस्या है और इसके लिए यह आवश्यक है कि यान में प्रतिक्रियात्मक शक्तियों का प्रयोग किया जाय। और हमने इसमें प्रतिक्रियात्मक शक्ति को उत्पन्न करने के लिए हाईड्रोजन पैरोक्साइड पदार्थ को प्रयुक्त किया है। पंखों पर भयङ्कर धक्का देने वाले प्रकम्पनो को प्रभाव हीन बनाने की सिलिकोन से पंखों को चिकना किया गया है।"
"क्या इससे टकराने वाली तरंगों से सुरक्षा हो जायगी?"
"ठीक नहीं कहा जा सकता। शायद हो जाय या शायद तरंगें फिर भी आघात पहुँचाएँ।"
डाक्टर एक बार फिर रुके। तब उन्होंने कहा—"इन दुर्घटनाओं का निराकरण करने के लिए ५० फुट लम्बा वेलनाकार यह एक्स १५ राकेटयान बनाया गया है। जो अत्यन्त सख्त धातु का है जो निकिल और इस्पात के मिश्रण से तैयार किया गया है।"
"किन्तु आपने कहा है कि—यान जब ध्वनि सीमाओं को पार कर लेगा तो वह अत्यन्त गर्म हो जायगा और उसका तापमान १००० डिग्री तक पहुँच जायगा।"
"यही नहीं, यदि यान वातावरण में पुनः प्रवेश के समय निर्धारित पथ से भटक जायगा तो उसका तापमान और भी चढ़ जायगा। और चालक को घोर संकट का सामना करना पड़ेगा।"
"आप यो क्यों नहीं कहते कि जो इस यान में अन्तरिक्ष की यात्रा करेगा, वह जानबूझ कर आत्मघात करेगा। उसकी तो भस्म भी इस उत्ताप में भस्म हो जायगी।"
"इस उत्ताप को बाहरी परत पर ही रोक देने की व्यवस्था हमने यान में की है। परन्तु फिर भी यदि ताप भीतर प्रविष्ट हो तो उसे रोकने के लिए हमने टाइटेनियम और स्टेन लैस स्टील की एक और भी परत लगाई है। और अब हमारा यह यान १,००० डि॰ फा॰ ताप का आसाना