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खग्रास

कर दिया था। उनका यह इरादा प्राणों की बाजी से भी भयंकर और खतरनाक था। और अध्यक्ष किसी भी हालत में इतने बड़े वैज्ञानिक के प्राणों का संकट पसन्द नहीं करते थे। परन्तु स्वाट क्रौसफील्ड का निर्णय अटल था। और उन्होंने अपनी इस असाध्य उड़ान की तारीख भी नियत कर दी थी। और नियत समय पर अपने विभाग के अध्यक्ष और सब बड़े-बड़े वैज्ञानिकों को एक नियत समय पर अपनी तैयारी दिखाने को आमन्त्रित किया था। सभी वैज्ञानिक उनकी इम रोमांचकारी यात्रा और इस महान राकेट यन्त्र का करिश्मा देखने को उत्सुक थें। नियत समय पर वे सब आ गए। और डा॰ स्काट क्रौसफील्ड ने अपने इस अद्भत यान का विवरण और महत्व आने वाले अतिथियों का बताना आरम्भ किया। सबसे प्रथम उन्होंने क्रिया और प्रतिक्रिया पर एक संक्षिप्त भाषण दिया। उन्होंने बताया—

"अंग्रेज वैज्ञानिक न्यूटन ने सर्वप्रथम क्रिया (एशन) और प्रतिक्रिया (रि-एक्शन) का सिद्धान्त स्थिर किया था। पृथ्वी पर पैर रखते ही एक अदृष्ट क्रिया अस्तित्व में आती है जिसके कारण आगे चलने की प्रतिक्रिया होती है। इसी से न्यूटन ने यह सिद्धान्त स्थिर किया था कि प्रत्येक क्रिया प्रतिक्रिया को जन्म देती है। इसी सिद्धान्त पर सर्वप्रथम हमारे मित्र डाक्टर गोडार्ड ने, जो आज पृथ्वी भर में सर्वश्रेष्ठ राकेट-विशेषज्ञ है, एक ऐसे ईंधन का आविष्कार किया कि जिसका प्रयोग रि-एक्सन मोटर्स ने एक विशेष प्रकार के अद्भुत एन्जिन में किया है, जो ५० हजार पौण्ड धक्का देने की शक्ति रखता है।"

इतना कह कर डाक्टर स्काट ने अपना चश्मा साफ किया और उसे आँखो पर चढ़ाकर उपस्थित वैज्ञानिकों की ओर घूम कर कहा—"आप अच्छी तरह जानते हैं कि राकेट-यान में धक्का देने की सक्ति का एक विशेष महत्व है। यह शक्ति मूलतः ईंधन पर आधारित होती है। एक हजार पौण्ड धक्का देने वाला एन्जिन एक पोण्ड भारी पदार्थ को १८ हजार मील प्रतिघण्टा की गति से अन्तरिक्ष में आगे फेंक सकता है। अब रि-एक्शन मोटर्स, ने १५ राकेट-यान को तैयार किया है जिसने उसके प्रयुक्त ईंधन की शक्ति इतनी प्रचण्ड है कि वह यन्त्र-पुञ्ज ५० हजार पौण्ड धक्का देने में