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खग्रास


"जब तुम्हें लौटने में देर हुई तो हम तुम्हें ढूंढने को निकल पड़े। दो घण्टे से तुम्हारा सन्देश भी हमें नहीं मिल रहा था। खैरियत हुई कि हमने ठीक समय पर तुम्हे पा लिया—क्योंकि ज्यों ही तुम्हें ले कर हम शिविर में पहुँचे, एक बड़ा भारी बर्फीला तूफान आया।"

"मुझे याद है कि जब मैं बेहोश हो रहा था तो मैंने बड़े जोर से लिजा को पुकारा था। क्योंकि उस चित्र में जो मैंने अपने शिविर का वृहदाकार रूप देखा था—तो लिज़ा खेमे के बाहर ही खड़ी थी। मुझे तो ऐसा लग रहा था कि वह मुझ से कुछ ही कदम के अन्तर पर है।"

"ठीक है, एक बार हम ने तुम्हारी आवाज की गूंज सुनी थी। शब्द की गति भी इस देश में वातावरण पर आधारित है। कभी-कभी तो मीलों दूर की बात सुन सकते है और कभी बिलकुल पास की भी नहीं सुनाई देती।"

"खैर, मैं समझता हूँ, हम लोग वहाँ पहुँच जाएँगे। मेरे कई यन्त्र भी वहाँ छूट गए है।"

"बस, तो अब हमें चल ही देना चाहिए।"

तीनों व्यक्ति उठ खड़े हुए। लिज़ा और जोरोवस्की आगे तथा प्रोफेसर उनके पीछे चले। तीनों के कन्धों पर विविध यन्त्र थें। प्रोफेसर बड़ी सावधानी से वातावरण और भूमि की जांच-पड़ताल कर रहे थें। उन्होंने कहा—"ऊपर वायुयान से इस क्षेत्र में हमने जिस अतुल खनिज सम्पत्ति का पता लगाया है, उसकी सन्देह-निवृत्ति भी हम करते चले, यही अच्छा है।"

"आप ठीक कहते हैं प्रोफेसर।"

इस समय तीनों व्यक्तियों ने सफेद पोशाक धारण की हुई थी। चारों ओर शुद्ध सफेदी छाई हुई थी। हवा सफेद थी, पृथ्वी और आकाश सफेद थें। नाक से निकलने वाली वायु सफेद थी जो नाक से निकलते ही जम जाती थी और रुई के हल्के बादलों को भाँति उड़ जाती थी। अचानक जोरोवस्की को ऐसा अनुभव हुआ कि जैसे लिजा, जो अभी-अभी उसके साथ