आस पास ऊँचे रक्तचाप के रोगी होते ही नही। विकिरण का हृदय की गति पर बहुत कम प्रभाव पड़ता है। यह उत्तरी अक्षाश के प्रत्येक अक्षाश के साथ बढता है।
अब इन रहस्यमयी ब्रह्माण्ड किरणो की पूरी जानकारी इन उपग्रहो से प्राप्त होगी। उपग्रहो मे ब्रह्माण्ड किरणो की छानबीन के अनेक यन्त्र रखे गये थे। इनकी यथार्थ जानकारी के बाद यह जाना जायगा कि जीवित जीव-कोषो पर इसका क्या प्रभाव पड़ता है। इसके बाद उसका निरोध विज्ञान के लिए आसान हो जायगा।
रोगी के लिए मौसम का अत्यन्त महत्त्व है। अभी हमे मौसम की भविष्यवाणी केवल २४ घन्टे पहिले होती है, वह भी अनिश्चित। परन्तु अब उपग्रहो से मौसम की सही भविष्य वाणी महीनो-सप्ताहो पूर्व प्राप्त हो सकेगी और चिकित्सक ठीक मौसम जानकर आपरेशन कर सकेगे तथा यह भी जान सकेगे कि उनके मरीजो के लिए प्रतिकूल परिस्थिति कब आने वाली है। अमरीकी राकेट विशेषज्ञ डाक्टर जानशेस्टा का कहना है कि जब उपग्रह अपनी कक्ष मे घूमता है तब गुरुत्वाकर्षण केन्द्रापसारी शक्ति के कारण नष्ट हो जाता है।
परन्तु शरीर पर ऐसी किसी शक्ति का प्रभाव नहीं होता। इसलिए भीषण रोगो के लिए सबसे उत्तम परिस्थिति यह है कि उपग्रह मे परिक्रमा करते हुए अस्पताल-सेनिटोरियम और प्रयोगशालाएँ बनाई जाय। इससे यह लाभ होगा कि हृदय पर कोई भार नहीं होगा और उसे बहुत कम काम करना पडेगा। क्योकि रक्त भारहीन होगा। ऐसी हालत मे चिकित्सक आसानी से हृदय का आपरेशन कर सकेगे।
परन्तु व्योमविजय की ये सारी अभिलाषाये तब तक पूरी नही हो सकती—जब तक विश्व की महती शक्तियाँ मानव कल्याण पर केन्द्रित नही होती। रूस और अमेरिका की दोनो महान् शक्तियाँ व्योम विजय की होड लगा रही है, पूरी तरह आसुरी भावनाओ से परिपूर्ण है। अपने अपने राजनीतिक दृष्टिकोण को लेकर ये दोनो सबल शक्तियाँ विश्व के अरबो