जल गर्भ अभियान
जिस दिन ध्रुव प्रदेश में जोरोवस्की का रूसी कैम्प में जोरदार स्वागत हो रहा था न्यूजीलैंड के डुनेडिन बन्दरगाह में उस दिन बड़ी धूम धाम थी। अमेरिका की सर्व प्रथम अणुशक्ति चालित पनडुब्बी जो टिलस अगम ध्रुव प्रदेश की यात्रा समुद्र तलगत नदियों द्वारा करने की तैयारी कर रही थी। इस साहसिक अभियान का नेता—स्मिथ था—जिसे हम दिल्ली के अशोक होटल में अभी कुछ दिन पूर्व रत्नों के व्यापारी के रूप में देख चुके थें।
समूचा यान एक बड़े सिगार की आकृति का था। उसका ऊपरी खोल निकल और इस्पात का बना था—जो अत्यन्त मजबूत था। पनडुब्बी की बनावट कुछ ऐसी थी कि उसके अग्रभाग में अणुशक्ति चालित राकेट इस अभिप्राय से लगाये गए थें कि आवश्यकता पड़ने पर वे बर्फ की चट्टानों को तोड़ कर अपना मार्ग उसके बीच से निकाल सके। निस्संदेह यह सुदृढ़ जलगर्भ यान अत्यन्त छोटा था। और उसके आवश्यक यन्त्र इतने थें कि उन्हीं से आधे से अधिक भाग भर गया था। अब इस पनडुब्बी में ४२ आरोही थें। यन्त्रों के अतिरिक्त अनेक आयुध और खाद्य सामग्री तथा औषधी भी थी। उन्हें बर्फ से मीलो नीचे जल गर्भ मे २३०० मील की विक्ट यात्रा करनी थी। स्मिथ समुद्री टोपी पहने, बड़ी तत्परता से सारी व्यवस्था की देख भाल कर रहा था। उसके मस्तिष्क में चिन्ता की गहरी रेखायें थी। और अब वह दिल्ली का मश्त सैलानी न था, एक अत्यन्त जोखिम पूर्ण और रहस्यमयी यात्रा का नियन्ता था। कुल सामग्री और आदमियों के वज़न सहित यान का वज़न सत्रह हजार टन था।
वे स्काट द्वीप समूहों के नीचे निर्विघ्न पहुंच गये। यहाँ आकर उनकी पनडुब्बी ने खुले समुद्र में उभारा लिया। दूर तक नन्हें-नन्हें द्वीप फैले हुए थें। पहाड़ के छोटे-छोटे टुकड़े समुद्र से उभरे हुए थे। धीरे-धीरे पनडुब्बी खुले समुद्र में आगे बढ़कर बर्फ की दीवार के निकट पहुंच गई। वहाँ अँधेरा ही