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खग्रास

को बढ़ा दिया था। तथा नए बजट में यह भी तय किया गया था कि नाटो, सीटो और मीडो को तो निर्धारित ही सहायता दी जाय, परन्तु आन्तरिक व्यय बढ़ा दिया जाय। अमेरिका और उसके साथी राष्ट्रों की रक्षा पर कुल रकम दो खरब ३५ अरब रुपए रखी गई थी।

सैनिक तैयारियों की यह भीषणतम रकम वास्तव में रूसी स्पूतनिक की प्रतिक्रिया का मूल्य था। अथवा श्री आइसनहावर के शासन के विरुद्ध जो भावना अमेरिकन राष्ट्रों में फैल गई थी और सभी अमेरिकन पत्रों ने जो विदेश मन्त्री डलेस की खिल्ली उड़ाई थी और भूतपूर्व अमरीकी राष्ट्रपति ट्रू मैन ने जो आइक की मलामत की थी, उसका यह एक भद्दा सा जबाव था, जो यह प्रमाणित करता था कि सम्पूर्ण अमरीकी राष्ट्र रूसी भय से थर्रा गया है। और अमरीकी प्रतिष्ठा खतरे में पड़ गई है।

बजट भाषण में अमरीकी प्रेसीडेण्ट ने कहा था—"संसार में सुरक्षा और शान्ति रखने तथा स्वतन्त्रता को अधिक सफल बनाने के लिए विभिन्न देशों के निवासियों तथा उनकी सरकारों के बीच अधिक सद्भावना और सम्पर्क बढ़ाने की आवश्यकता है। अफ्रीका में विदेश विभाग के अतिरिक्त अधिकारियों की नियुक्ति, पश्चिमी एशिया और सुदूरपूर्व में आर्थिक और राजनीतिक विकास, पर पूरा ध्यान देने की आवश्यकता है। रूसी महत्वाकांक्षा के फलस्वरूप स्वतन्त्र लोकतन्त्री देशों के सम्मुख जो खतरे उपस्थित है, उनके कारण सुरक्षा के विचार से दूरमारक प्रक्षेपणास्त्रो, तथा सैनिक अनुसन्धान तथा विकास कार्यों के लिए बड़ी रकमों की व्यवस्था आवश्यक है। दूरमारक प्रक्षेपणास्त्रो की यांत्रिक विधियों में प्रारम्भिक शस्त्रास्त्र व्यवस्था से अधिक उन्नत भावी व्यवस्था में जबर्दस्त अन्तर पड़ गया है, अब प्रस्तावित निर्माण कार्यक्रम में जो अधिकांश जहाज तैयार किए जाएँगे, वे नए ढङ्ग के होगे जिनमें अणुशक्ति चालित फ्रिगेट, दूरमारक अस्त्रों से लैस विध्वंसक तथा पनडुब्बी, विनाशक युद्धपोत सम्मिलित होंगे। ये वृद्धियाँ प्रगति की रफ्तार को बढ़ाकर अधिक आणविक सैनिक सामर्थ्य बना लेने के हमारे संकल्प तथा