कायम होने का भरोसा किया जा सके, और उन शर्तों का पालन किये जाने के सम्बन्ध में प्रत्येक व्यक्ति का समुचित विश्वास होना।
अमेरिका की जनता और सरकार शान्ति की इच्छुक है और इस देश में लोग अपनी सरकार पर इतना अधिक वैधानिक दबाव डालते हैं कि वहाँ की किसी सरकार द्वारा युद्ध शुरू करना शायद सम्भव ही नहीं है। हमारे देशवासी आक्रमण प्रारम्भ करने के किसी प्रयत्न का विरोध तो करेंगे ही, साथ ही आक्रमणात्मक कार्यवाही के लिए जरूरी आकस्मिकता का भी उसमें सर्वथा अभाव होगा। हमारी ओर से आक्रमणात्मक युद्ध की बात न केवल निन्दनीय व घृणित है, वह अशक्य और असम्भव भी है।
पिछले ४० वर्षों के व्यौरे से हमारे दोनों देशों की प्रणालियों के शान्ति सम्बन्धी कार्यों की तुलना करके देखी जा सकती है। हम शान्ति का सम्मान करने के सम्बन्ध में अपने देशों का विवरण सहर्ष विश्व के निष्पक्ष निर्णय के लिए प्रस्तुत करते हैं। मैं आपको विश्वास दिलाता हूँ कि अमेरिका में हमारे राष्ट्रीय-व्यापार के प्रत्येक क्षेत्र और प्रत्येक पहलू में शान्ति स्थापित किये जाने को सर्वोपरि प्राथमिकता दी जाती है।
अमरीका के प्रेसीडेण्ट आइसनहावर ने जिस दिन सोवियत नेता को खत लिखा उसी दिन नए साल का बजट कांग्रेस में पेश किया। यद्यपि पत्र में रूस को आश्वासन दिया गया था कि अमेरिका किसी हमलावर का समर्थन नहीं करेगा। परन्तु उसी दिन उन्होंने अमेरिका का फौजी व्यय बढ़ा कर कुल आय का ७५ प्रतिशत कर दिया। अब अमेरिका की स्थल सेना पौने ६ लाख, नौ सेना ६ लाख तीस हजार, और वायु सेना आठ लाख ५० हजार थी। और उसका वार्षिक व्यय २॥ खरब रुपयो के लगभग था। यह रकम भारत की कुल वार्षिक आय से तैतीस गुनी थी। यद्यपि भारत अमेरिका से बड़ा प्रजातन्त्र था। नए बजट में अमेरिका ने स्थल सेना में तीन लाख सैनिकों की कटौती करके प्रक्षेपणास्त्रो से लैस नौ सेना और वायु सेना