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खग्रास

वैज्ञानिक दिलचस्पी की चीज है। अब तक वैज्ञानिक इस सम्बन्ध में कुछ नहीं जानते थे और इसे गतिहीन समझा जाता था। अब पता लगा है कि यह अत्यधिक पेचीदा और अद्भुत घटना है तथा इसकी तीव्रता एक रात में ही काफी घटती बढती रहती है।"

"आपने एक बार एलेक्ट्रो-जैट-करण्ट का जिक्र किया था। क्या उसका भी पृथ्वी के वायुमण्डल से कोई सम्बन्ध है?"

"यह अत्यधिक विद्युत्शक्ति युक्त एक चमकता हुआ गोल चक्र है, इसका सही-सही स्थान कौनसा है, इसकी अब अधिक खोज की जा रही है। इस सम्बन्ध में प्रशान्त महासागर के पलाऊ द्वीप-समूह के कोरीर द्वीप में स्थापित अमेरिकी निरीक्षण केन्द्र में जो भी चुम्बकीय रिकार्ड जमा किए है, उनसे इस चक्र का सही-सही स्थान पता चलता है। और अब ऐसा विश्वास है कि 'एलोक्ट्रो-जैट-करण्ट' सम्पूर्ण खगोल में व्याप्त विद्युत्-लहरियो की उस व्यवस्था का एक अंग है जो भूमध्यरेखा पर भूमि के चुम्बकीय क्षेत्र में परिवर्तन करती है।"

"धन्यवाद। आप से बहुत सी नई बातो का पता चला डाक्टर, लेकिन अब आप क्या करने जा रहे है?"

"अब तो हम ऐसे उपग्रहो के निर्माण में व्यस्त है जो अधिक समय तक व्योम में ठहर सकें और विभिन्न सूचनाएँ पृथ्वी तक पहुँचाने में समर्थ हो। हम यह भी आशा करते हैं कि सन् १९६० में हम मानव को चन्द्रलोक तक ले जाने में सफल हो जाएगे। अब हम एक सब से बड़ी बाधा को पार करने में लगे है।"

"वह बाधा कौन सी है?"

"मौसम के सम्बन्ध की भविष्य वाणियाँ। वास्तव में पृथ्वी से निरीक्षण करने पर मौसम की ठीक जानकारी नहीं हो पाती। उपग्रह से ऊपर से लिए गए पृथ्वी के जो टेलिविजन चित्र मिलेगे, वे मौसम की गूढ़ बातो पर प्रकाश डालेंगे। इसी से वैज्ञानिक पृथ्वी के चित्र लेने में टेलीविजन का लाभ उठाने का भगीरथ-प्रयत्न कर रहे है।"