"यह बात तो अब तक शायद संसार के वैज्ञानिको को विदित नहीं थी।"
"किन्तु अब वैज्ञानिको को यह विश्वास हो जायगा कि ये प्रकाश धाराएँ सूर्य में लपट उठने के समय उजले गए कणो के उच्च आकाश मण्डल में पहुँचने के समय उत्पन्न होती है। जो ऊर्ध्वगामी राकेट दोनो ध्रुवो में छोड़े गए थे वे कुछ ऐसे शक्तियुक्त कण प्राप्त करने में सफल हो गए है कि जो सम्भवत उस प्रकाश धारा को जन्म देने के कारण है।"
"अभी कुछ दिन पूर्व अमरीकी वैज्ञानिको ने यह सूचना दी थी कि अमेरिका और कनाडा की सीमा पर उन्हे समस्त उत्तरी अमेरिका महाद्वीप में फैली उत्तरी-प्रकाश की एक दुहरी चाप दिखाई दी थी---यह क्या सच है?"
"बिल्कुल सच।"
"ब्रह्माण्ड किरण के सम्बन्ध में आपको नई जानकारी क्या है?"
"यही, कि वे किरण पूर्व कल्पना की अपेक्षा पृथ्वी के कही अधिक निकट पहुँच जाती है।"
"क्या इसके कुछ खास परीक्षण हुए है?"
"सूर्य में एक बड़ी लपट उठने के बाद मिने सोटा के वैज्ञानिको ने गुब्बारो में रख कर जो उपकिरण भेजे थे, उनसे भूमि से २० मील की ऊँचाई तक इन कणो की विद्यमानता का पता चला है।"
"किन्तु अभी तक तो संसार के वैज्ञानिको की यह धारणा थी कि सूर्य से निकले ये कण कम से कम ५० मील की ऊँचाई पर रुक जाते है।"
"जी हॉ। पर अब यह विचार गलत प्रमाणित हो गया है। इसके अतिरिक्त एक और बात का पता चला है।"
"वह क्या?"
"वहा की वह चमक हल्की, प्राय अदृश्य सी, पृथ्वी के वायुमण्डल में होती है, रात में यह कभी-कभी हल्की सी नजर भी आती है। यह भी