"सुना गया है कि रूस अब अपने तीसरे विशाल स्पूतनिक को छोड़ने की तैयारी कर रहा है, जिसमे कोई जीवित प्राणी होगा?"
"देखिए रूस क्या कर रहा है। और क्या करना चाहता है। इसका ठीक-ठीक पता दुनिया में किसी को नहीं लग सकता। मुझे तो विश्वस्त सूत्र से ज्ञात हुआ है कि चन्द्रलोक में रूस का लाल झण्डा फहरा रहा है।"
"यह आप क्या कह रहे है?"
"इधर हम भी चुप नहीं बैठे है। हमें विश्वास है कि अगले वर्ष तक हम मानव को अन्तरिक्ष के छोर तक ले जा कर वापस ले आएँगे।"
"प्रभु यीसू मसीह आपको सच्चा करे। लेकिन सुना है, रूसी एक ऐसी मशीन बना रहे है जो आदमी की नींद घटा कर रोज दो घण्टे कर देगी।"
"आप बड़े खुशअखलाक है मिस्टर डे, आपका मजाक मजेदार है।"
"मेरा मजाक नहीं डाक्टर वान, यह रूसियो का मजाक है।"
"मजाक बुरा नहीं है, इससे आप को भी सिर्फ दो घण्टे ही सोना काफी होगा। और जागने से थकान के जो विष्टि-अणु पैदा हो जाते है, वे नष्ट हो जाएँगे। आदमी अब से तिगुना जी सकेगा, तिगुना कार्य कर सकेगा।"
"लेकिन आप तो डाक्टर, दुनिया को मशीनो से पाट रहे है। काम तो अब सब मशीने ही करेगी, आदमी तो बस अब खाली बगले बजायगा। या बेकारी के नारे लगा कर सरकार को तंग करेगा।"
"खुदा की मार इस आदमी पर, हम उसे राहत और आराम देना चाहते है, मेहनत से बचाना चाहते है। और वह काम चाहता है---काम-काम चिल्ला रहा है।"
"अजी काम-काम नहीं, रोटी-रोटी चिल्ला रहा है। लेकिन इतने आदमियो के लिये अब हमारे पास रोटी है कहाँ? मैं तो यह कह सकता हूँ कि आज विश्व की जनसंख्या २ अरब ७९ करोड़ है। सन् १९५८ में ८१ करोड़