में सिंगापुर, उत्तरी, बोनियो और हागकाग ब्रिटिश साम्राज्य के ध्वस्त चिह्न रह गए थे, जो आजादी के लिए उक्स-पुक्स कर रहे थे।
अल्जीरिया और इरियन की आजादी के लिए फ्रांस से संघर्ष हो रहा था। पश्चिमी इरियन का प्रश्न भी उठ रहा था--और देर नहीं थी कि नीदरलैण्ड इरियन को छोड़ कर भाग खड़ा हो।
नव जागरित अफ्रीकी महाद्वीप के राजनीतिक क्षितिज में दो सितारे पूरी तेजस्विता से देदीप्यमान हो रहे थे। एक कर्नल नासिर और दूसरे डा० एन्कूमा।
अफ्रीका महाद्वीप भी एशिया महाद्वीप की भॉति सभ्यता-संस्कृति, साहित्य, इतिहास, कला तथा उद्योग की दृष्टि से प्राचीन काल से ही उन्नत था। उसे भी एशियाई महाद्वीपो की भॉति औपनिवेशिक दुर्नीति का शिकार होना पड़ा। गत चार पॉच शताब्दियों में ही उसे हव्शियो का देश बना दिया गया था। और उसकी संस्कृति-साहित्य-भाषा तथा कला को इस बुरी तरह नष्ट कर दिया गया जैसे इन सबका कोई अस्तित्व था ही नहीं। दुनियाँ के बाजारो में यहाँ के काले लोगो को गुलामो की भॉति बेचा गया। चार-पाँच शताब्दियो तक घृणित व्यापार चलता रहा। मिश्र और अफ्रीका की उच्चतम और प्राचीन संस्कृति की यह दुर्गति मानव इतिहास में अद्वितीय थी। अब कर्नल नासिर और डा० एन्कुमा के नेतृत्व में अफ्रीका वासी नई चेतना से भर उठे थे। अब वह दिन दूर नहीं जब समूचा अफ्रीका महाद्वीप स्वतन्त्र होगा। घाना की राजधानी अकारा में डा० एन्कूमा और मिश्र की राजधानी काहिरा में कर्नल नासिर असाधारण संघर्ष कर रहे थे। अभी कुछ दिन पूर्व तक घाना ब्रिटिश उपनिवेश था। यह गोल्ड कोष्ट के नाम से प्रसिद्ध था। पश्चिमी अफ्रीका में सहारा के पूर्व में समुद्र तट तक फैले हुए इस राज्य का विस्तार १२ हजार वर्गमील है। जो कश्मीर से कुछ ही बड़ा है। यहाँ की आबादी ५० लाख है।