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इकतारा 2 मेरी वीणा में एक तार-गायक तू भी यह छवि निहार । P १ एकाकी स्वर का मृदु निकरा - होता है स्वनित यहाँ प्रतिक्षण, गाऊँ कैसे शङ्करामरण? दरसाऊँ कसे स्वर लक्षण है सात स्वरों का कठिन भार, मेरी वीणा में एक तार । २ मेरी तो बस है एक टेक, धुन एक, एक लय, ताल एक, मूछना मुरज सब काल एक, गाऊँ मैं कैसे स्वर अनेक ? घया जानू करना स्नर सिंगार ! मेरी नीणा में एक तार । प्रिय के वातायन के नगीच, सूनी रातों के ऐन बीच,-- लोचन से वीणा सींच सींच- तिहत्तर