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वासि रस सार करठ का सूख चला, सर ज्यों भवृष्टि के सकट में, कर मान मूर्छना सुरस दान,-ऐ मेरी विस्मृत मृदुल तान ! 8 ४ अटपटी सलौनी स्वर लहरी- है ठिठकी सी सहसा उहरी, वह कालि दी की लहरों सी बहतो है नहीं यहाँ गहरी, बहा, नहा, अब हठ न ठान,-ऐ मेरी विस्मृत मृदुल लान ! ५ छिन छिन में कर दे तू निहाल, भर दे जीवन में स्वरित ताल, गुम्फित कर दे धीरे धीरे- सातों स्वर की प्रालम्ब माल, पूरा कर दे गायन विधान,-हे मेरी विस्मृत मृदुल ता71 ६ है मेरी हृदय तरङ्ग दीन यह बनी, सजनि, स्वर सङ्ग हीन, भर दे सुस्पन कम्पन जग में, कर दे हिय को रस रङ्ग लीन, करने दे मुझको अमिय पान,-हे मेरी विस्मृत मृदुल ता7/ निस्ट्रिक्ट जेल गाजीपुर दिनात १० जनवरी १३ साह