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वेराग-विवाद क्यो अनमोल अर्जन, राक में ही तो मनुज के सुप्त, विजडित भान। जागे , अब, विराग विवाद क्यों, जब.ना गया अनुराग भारी ? ? राग रजन ने हगों में भर दिया हो गए जिससे चमत्कृत सित असित ये नयन खजन, राग से सलग्न होकर खिल उठा भाषामि यजन में है राग रति, तब राग से क्यों मनुज भागे ? राग में ही तो मनुज के सुप्त, विनाडित भाव जागे। P बज़ उठ जब बासुरी, तब वैर क्या हो स्वर लहर से ? उपकरण परिधान पहना तब निरति क्यों चर चर से ? या पडे जब सूजन नद में, तब झिझक कैसी भेषर से ? इन्द्रियॉ. पाकर बने । क्यों अति निरिद्रिय हम नमागे ? , राग में ही तो मनुज के सुा, चिजडित भाव जागे । ३ मानवों की मुक्ति है इस राग औ' अनुराग में ही, छुट सके क्यों राग, जब आ पडे है भाग में हो? बाईस