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पाती ? में क्या लिखू तुम्हें पानी, शिय, अत्र या त मे श द सहारा जब हिय म तुम बसे हुए हो, तब अभि यजा कोन विचारा ? १ रोम रोम में, श्वारा श्वास में, रक्त कणों में अतर तर में, मेरी ज्ञान ध्यान पूजा में, मेरे इस मास सम्बर मे, जय तुम रमे हुए हो मेरी हिय उमर की लहर लहर में, तन अक्षरों और रादों से कोर गेद बताऊँ सारा ? म क्या लिखू तुम्हें पाती, प्रिय, मात्र बया तू में श द सहारा ? २ सॉम हुई, मानों त7 ष्णा, घन सावलिया लहराई, कमल मुंदे, मानों मद मीनी तम एणी अशिया अलसाई, आई ऊषा, मानो तब मृदु म द म द स्मिति किरणे आई, यो त्वम् मय है मेरा श्रग जग, यो खम् मय मम जीवन धारा । मैं क्या लिखू तुम्हें पाती, प्रिय, अब क्या तू में श द सहारा ३ पर, मरी क्या जीवन धारा ? मै तो एक बिदुहू केरल, ऐसा बि दु, कि अब धारा हूँ, केरल तब अनुकम्पा के बल, १ मृगी एक सौ चार