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मेरे ऑगन खजन आए मरे प्रागन राजा श्राप चटुल, चपल, प्रति पल पता चलते ये चावल हग रजन भाग, मेरे आगन राजा श्राए! ? अति सुकुमार सुबड, अति भातुर, स्रोत, श्याम, अभिराग, मनोहर, ये गति दूर देश के वासी, सतत प्रशासी, शरद गगन पर, रातत कम्पित, सतत चकित अति, सतत टोह गिरत, फर फर कर, जन गण मन की बचलता के ये चालक समि यजन आए, मेर श्रॉगा राज! पाए २ आ दोलित करते रहते है निमिप निमिष में शिव लघु लागल, तनु चरणों पर बेठे मा फूला झूल रहे रे दुल इल, क्षण क्षाण, रज कण कण में जी77 खोज रहे ये मजुस वजुल, भावना गजा करते ये पारस दुख भजन याए, मेरे आँगन राजन आ } २ अतस १ अस्थिर २ पक्षी का नाम अठासी