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तुम सत्-चित्-अवतार, रे हमरे बलम को कोड न जगइयो, कोउ जनि गाइयो मतार, रे, कॅगनन की खन खन जनि करियो, ता पायल फनकार, र । १ हम अनगिनत बलेया से क शाई है पोदाय, रे, तनक खनक सो सजा जगें है, है सुकुमार सुमाय, रे, सोए है पिय गहन तिमिर की कारी नादर ओढ, रगमहल के दीप बुझे है, राम रहे हे पोट, रे, कोइ न फैकियों इते हॅसी की मृदु किरण चार, रे, हमरे पिया को कोउ 7 जगइयो, कोउ जगि गाइयो मलार, रे । Y चल जागृति, तू दुकि नैठिजा जहाँ मन की भीर, रे, अरी, खेल के थे क्षण नॉहीं, छायौ तिमिर गॅभीर, रे, कु जन कु जन, रोस रोस पे अब तू ने न डोल, रे, मेरे साजन के ये मीलित लोचन पुट जनि सोल, हमरे रंगमहल में लाई हे विश्राति अगार, रे, हमरे बलम कौं कोज न जगइयो, जनि कोड गाइयो मलार, रे। ३ राग भरी कारी कोयलिया, तू पयों कूकी, यथासी भाय,