पृष्ठ:कोविद-कीर्तन.djvu/१२२

यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
११८
कोविद-कीर्तन


हो गये थे। जब आप वकालत की परीक्षा में पास हो गये तब वहाँ की हेडमास्टरी छोड़कर आप मेरठ में वकालत करने लगे। तीन वर्ष तक आप मेरठ मे वकील रहे। १८८६ मे आप इलाहाबाद चले आये।

बाबू श्रीशचन्द्र वसु जिस समय कालेज मे शिक्षा पा रहे थे उसी समय आपने अँगरेज़ी का शार्टहैंड लिखना भी सीख लिया था। इलाहाबाद आने पर उसने बड़ा काम दिया। उसकी बदौलत आप हाई-कोर्ट के फैसलों के रिपोर्टर नियत हो गये। इस काम को आपने बड़ी ही योग्यता से किया। एक दफ़े आपने मिसेज़ एनी बेजेट (हिन्दी अख़बारों की "बसन्ती बीबी" ) की वक्तृता को इस सफ़ाई और इस शुद्धता से शार्टहैंड मे लिख लिया कि एनी बेजेट देखकर दङ्ग रह गईं। जब उसकी कापी, अँगरेज़ी मे, उनके सामने पेश की गई तब वे बे-तहाशा बोल उठीं---मेरी वक्तृताओ की रिपोर्टों लन्दन के बड़े-बड़े शार्टहैंड लिखनेवाले रिपोर्टरों ने लिखी हैं। पर वसु बाबू के सदृश अच्छी प्रौर अत्यल्प अशुद्धि-पूर्ण रिपोर्ट उन लोगों से भी लिखते नही बनी । वसु बावू की यही आदत है कि जिस विषय को वे लेते हैं उसका चूड़ान्त ज्ञान प्राप्त किये बिना नहीं रहते। शार्टहैंड लिखना सीखा तो उसमे इतनी योग्यता प्राप्त कर ली कि बड़े-बड़े रिपोर्टरो तक के कान काटने लगे।

वसु महाशय की वकालत जब खूब चल निकली तब उन्हे हिन्दू-धर्म-शास्त्र की पेचीदा बातें जानने की इच्छा हुई; क्योंकि