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साबरमती आश्रम के दौरे के नोट्स

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वर्ष 2016 के अंत में सैम के साथ मेरी यात्रा ने मेरी आंखें खोल दीं। यह मेरे अमेरिका के 10 वर्षों के संघर्ष के विष को हरण करने वाली एक औषधि थी, जहां मुझ पर कानून संबंधी चीजों को पोस्ट करने के लिए मुकदमा चलाया गया था, जिसमें संघीय न्यायाधीशों ने सार्वजनिक सुरक्षा कोड को नहीं बताने के लिए मुझे आदेश दिया था। भारत की इस यात्रा ने मेरी आंखें खोल दी लेकिन मुझे विश्वास भी दिला दिया कि अगर हम संघर्ष करते रहते हैं, तो हम अपनी दुनिया बदल सकते हैं।

गांधी के आश्रम का दौरा, राजस्थान में भाषण, दिल्ली में सांसदों से मुलाकात जैसे इन अनभवों को मैंने संजोए रखा है। जब मैं पहली बार दिली आया तो मझे पता था कि यह यात्रा विशेष होने वाली थी। सैम कुछ घंटों पहले वहां पहुंच गए थे। मुझसे एक प्रोटोकॉल अधिकारी विमान के द्वार पर मिले और मुझे सीधे कस्टम्स की प्रक्रिया से ले गये। मैं दिनेश त्रिवेदी के सरकारी बंगले पर पहुंचा और दिनेश से पहली बार आमने-सामने मिला। इसके अलावा एक व्यवसायी मानव सिंह भी वहां मौजूद थे, जो कई विमानन से जुड़े कंपनियों के मालिक हैं, जिनमें एयर एम्बुलेंस सेवा (Self-Employed Women's Association of India) भी शामिल है, वे दिनेश और सैम के पुराने दोस्त भी हैं। मानव हमें रात के खाने के लिए ताज होटल के जापानी रेस्तरां में ले गए। जैसे ही हमने ‘मात्सूतेक (Matsutake) सूप पिया और ‘सुशी' खाया, यकायक ही मदर टेरेसा के विषय पर बात आ गई।

मानव ने टिप्पणी की “ओह! उनमें तो कुछ बात थी!” मैंने पूछा कि क्या वह उनसे मिले थे। मानव मुस्कुराए, और मुझे बताया कि मदर टेरेसा ने उसके नामकरण समारोह की अध्यक्षता की थी। मैंने पूछा कि क्या वह कैथोलिक हैं, और वे हंसने लगे और कहा नहीं, इससे कोई फर्क नहीं पड़ा, वह मेरे परिवार की बेहद पुरानी दोस्त थीं। उसने अपना बटुआ निकाला और एक मुस्कुराती हुई मदर टेरेसा के साथ एक बच्चे के रूप में खुद की तस्वीर दिखाई।

मैं बेहद प्रभावित हुआ। फिर सैम ने कहा “हाँ, वे एक अनवरत काम करने वाली महिला थी। मुझे याद है वह एक बार, प्लेन पर मेरे पास आईं, और कहा सैम आपको यह पढ़ना चाहिये”, और उन्होंने सैम को एक कार्ड दिया जिसपर बाइबल के कुछ शब्द लिखे हुए थे। उन्होंने ऐसा कई बार बहुत लोगों के साथ किया है, सैम ने कहा। उनके पास आज भी वह कार्ड है।

मैंने टिप्पणी की थी कि यह वास्तव में काफी उल्लेखनीय है, यहां हम चार लोग डिनर कर रहे थे और उनमें से दो लोग मदर टेरेसा को जानते थे। सैम और मानव ने हंसना शुरू कर दिया। दिनेश कोलकाता से सांसद हैं, जहां मदर टेरेसा का मुख्यालय था। दिनेश ने मुस्कुराते हुए समझाया कि वह और उनकी पत्नी अपनी छोटी कार में पूरे शहर में मदर टेरेसा के साथ घूमा करते थे। वह सामने की सीट पर बैठी होती थी, जो दिनेश और उनकी पत्नी को ड्राइव करने और कहाँ ड्राइव करना है, ये निर्देश देती थीं। जब वह नोबेल शांति पुरस्कार प्राप्त करने के बाद वापस आ गई, तो दिनेश ने उनके साथ दिल्ली से कोलकाता तक की यात्रा की

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