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साबरमती आश्रम के दौरे के नोट्स


नाश्ते के बाद, हम प्रशासनिक बिल्डिंग में गए, जहां कार्यशाला होने वाली थी। फर्श पर गद्दे बिछे थे और आगे की प्रक्रिया को देखने के लिए बाल्कनी में विद्यार्थी और मेहमान मौजूद थे। सैम कमरे के बीच में फर्श पर बैठ गए। दिनेश और मैं उनके दोनो तरफ जाकर बैठ गए। जगह काफी छोटी थी और प्रतिभागी दर्जनों की संख्या में थे।

हमारे मेजबान कार्तिकेय साराभाई थे, जो एक प्रसिद्ध पर्यावरणविद् और भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम के निर्माता, विक्रम साराभाई, के बेटे हैं। आश्रम के एक ट्रस्टी के रूप में, कार्तिकेय जी उस दिन हमारे मेजबान थे। जैसे ही मैंने चारों ओर देखा, तो मैंने अपने चारों ओर कई प्रतिष्ठित गांधी विद्वानों, कार्यकर्ताओं और इतिहासकारों को पाया।

कमरे के दूसरी तरफ, पारंपरिक घर की बुनी सफेद खादी पहने अमृत मोदी थे, जो वर्ष 1955 से आश्रम में ही रहते हैं और जिन्होंने स्वर्गीय विनोबा भावे के साथ संपूर्ण भारत भ्रमण यात्रा में शामिल थे। उनके पास प्रसिद्ध इला भट्ट बैठी थीं, जिन्होंने वर्ष 1972 में 'सेल्फ-एम्पलॉयड वीमन एसोसिएशन ऑफ इंडिया-सेवा (Self-Employed Women's Association of India) (SEVA)' की स्थापना की, और डेसमंड टूटू (Desmond Tutu) और अन्य सदस्यों के साथ, इसके वरिष्ठ सदस्य के रूप जुड़ गई।

इला जी के बगल में दीना पटेल बैठी थी, जिनके पिता ने 40 वर्षों तक 'कलेक्टेड वर्क्स ऑफ महात्मा गांधी' के 100 भाग वाली पुस्तक के 56,000 पृष्ठों का संकलन करने में मदद की थी। पिछले सात सालों से, दीना ने 'कलेक्टेड वर्क्स' के इलेक्ट्रॉनिक संस्करण बनाने में कड़ी मेहनत की है। उन्होंने कलेक्टेड वर्क्स के मूल संस्करणों को ऑप्टिकल कैरेक्टर रिकॉग्निशन (ओ.सी.आर) के द्वारा स्कैन करके, और फिर मूल संस्करणों में सभी त्रुटियों को ठीक करके, महात्मा गांधी के शब्दों का एक वास्तविक संस्करण बनाने के लिये कड़ी मेहनत कर रहीं है।

गांधी विचार धारा के विशेषज्ञों में से दुनिया के अग्रणी विशेषज्ञों में दीना एक वैसी महिला हैं, जिन्होंने लंबे समय से गांधी जी के लिखित लेखों पर काम किया है, और संकलित कार्य के प्रत्येक शब्द को अक्षरशः पढ़ा है। कुछ दिनों पहले मैं उनसे दिल्ली में मिला था। उन्होंने, अपने जीवन के अनेक कहानियों को सुनाकर, मुझे एकदम आश्चर्यचकित कर दिया था। उन्होंने मुझे पढ़ने के लिए कुछ पुस्तकों का सुझाव दिया, जिनके बारे में मैं जानता भी नहीं था। दीना, गांधीजी की जीती जागती विश्वकोश हैं और वह अपनी कहानियों को, जुनून से और काफी आकर्षक तरीके से बताती हैं।

चर्चा के दिन से एक दिन पहले, एक छोटे समूह ने इस विषय पर आश्रम में बैठक की थी, उस वक्त सैम और हम राजस्थान में थे जहां सैम ने राजस्थान के केंद्रीय विश्वविद्यालय में दीक्षांत समारोह की अध्यक्षता की, जहां वे कुलपति हैं। कार्तिकेय जी ने, हमारी दुनिया में हिंसा के विषय पर पिछले दिन की हुई चर्चा का सारांश पेश करते हुए सुबह की सभा की शुरुआत की।

हमारा मूल उद्देश्य हमारी दुनिया में हिंसा के मूल कारण पर चर्चा करना है, और इस बात को भी जानना कि गांधी जी की शिक्षाओं से हम आज क्या सीख सकते हैं। ऐसे आंदोलन को

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