पृष्ठ:कुसुमकुमारी.djvu/८७

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स्वगायकुसुम (पचासपा इज्जत बिगाड़ डालना चाहिए; फिर उसको भी खपा कर और एक जाली दस्तावेज़ बना कर उसकी कुल मिलकियत पर दावा करना क छ कठिन न होगा।' "इन लोगों की ऐसी नीयत जानकर कल रात को, जब कि बीबी कसमकुमारी अपने घर पर थीं, मैं इन सभोंको भुलावा देकर इस बाग में ले आया और फिर मैंने इन सभोंको हम्माम वाली कोठरी में बंद कर हुज़र को इत्तिला दी । बस, यही इन सभोंके बारे में मैं जानता हूं; इसके अलावे और कुछ नहीं जानता।" मजिष्ट्रट,-"वेल! भैरोसिंह ! हम टुमारी कार्रवाई पर निहायट खुश हुआ। टुम वेशक कुल इनाम पावेगा।" फिर कुसुम का इज़हार हुआ, उसने कल का रहना बाग में न बतला कर. घर पर बतलाया और इस मामले में अपने को सब तरह से अनजान बताया फिर भैरोसिंह की नमकहलाली, ईमानदारी आदि को सराहा और अपने इश्तिहार से दूने इनाम देने की खाहिश जाहिर की। इसके अनन्तर बसन्तकमार का इजहार लिया गया। उसने उतनी ही बातें अपने इज़हार में कही, जितनी कि उसने पहिले अपने इजहार में कही थीं। फिर करीमबखश घगैरह का इज़हार लिया गया, जिसमें उन सभोंने अपना अपना कसूर कबूल किया और भैरोसिंह के इजहार की कुल बातों की ताईद की। फिर करीमवस्त्रश ने भैरोसिंह को दो हजार रुपये की थैली देने और हम्माम में से एकाएक दूसरी सुरंग में जाकर भैरोसिंह के गायब होने की बात छेड़ी, पर भैरोसिंह के इनकार करने से मजिष्ट्रेट ने करीमबखश की बातों को निरीझूठी समझा, इसलिये दो हजार रुपये भैरोसिंह के पेट मे ही रह गए और उस अजायब-घर की अनूठी बात भी दबी ही रह गई। निदान, फिर तो मजिष्ट्ररसाहब ने मब असामियों को कचहरी में चलान किया और अपने इजलास में बैठकर उनका फैसला किया। करीमबखश और झगरू जन्मभर के लिये काले पानी भेजे गए और उनके सब साथी सात सात वरस के लिये जेल में उसे गए। भैरोसिंह ने सरकार से और कुसुम से भी अपने नाम के कुल रुण्ये