पृष्ठ:किसान सभा के संस्मरण.djvu/१५०

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(६५ ) उसी दिन में, पं० यमुना कापी, पं० यदुनन्दन शर्मा और साक्टर युगल किशोर सिंह किसानों की हालत जांचने के लिये प्रान्तीय किसान सभा की तरफ से जहानाबाद पहुँचे थे। पं० यदुन्दन शर्मा ने गया जिले में एगरा रोज रोज का प्रोग्राम ठोक किया था । घोर देहाती में वर्या के दिनों में जांच का प्रोग्राम पूरा होना, जो अपने ढंग का पहला ही था, अासान न था। दस दस, पन्द्रह पन्द्रह मील और इससे भी ज्यादा दूरी पर हमें टीक समय पर पहुँचना था । नहीं तो जाँच श्नसंभव हो जाती । फिर किसानों को जमा करना गैर मुमकिन जो हो जाता अगर हम एक दिन भी चूक जाते । जान्न के काम के बाद हमें उनकी बड़ी बड़ी समायों में उपदेश देना भी जरूरी था । इसलिये शर्मा जी ने ऐसा सुन्दर प्रबन्ध किया था कि एक दिन भी हमारे काम में गड़बही न हो सकी । देहाती रास्ता के राय कर के दम बराबर ही टीक समय पर सभी जगह पहुंचते गये । एक जगह एमाग काम पूरा भी नहीं हो पाता कि दूसरी जगह से सबारी या जाती । यह भी था कि सवारी को जदौ कोई भी श्राशा न होती व हम पैदल ही जा धमयते । अाखिर मूसलाधार वृष्टि में सवारी बीन मिलती और कैसे ? जो याममधानी ढंग से कांग्रेस की जांच कमेटी गर्मियों पर बात करनी हमने मध्य बरसात में इस खूबी से पूरा किया कि हम खुद हैरत में ये किया कैसे हो सका । दूसरे लोग तो इसे संभव ही नमनं थैठे रहे। सत्रते यदी प्रत यह हुई कि किसानों की मुस्तैदी और सपान का हमें विश्वास हो गया, मग कि पं० यदुनन्दन शर्मा से कार्यकर्ता उन्हें मिल जाम मान लिया कि क्षेत्र तैयार है। सिर्फ धनी किसान-सेवकी और पम-दर्शकों की माता है। यह दारा विश्वास, वो उस समय की फिलानो शामिनी से हुधा या, सबसे अगर मन दलाती गा है। यह मानो हुई बात है कि किसान सभा के पास कोई करना शमी भी तो वह पुनहायत हुई पी। ग्रार सीमा से सदर सभा में फोर कमी होनी है.लकिपर उसके नाम रुपये वनदोले रहे है। मन में जनता की साम्रो . ?