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( ६३ ) तीसरे पहर वहीं बहुत बड़ी मीटिंग हुई। जमींदारों के हाथों किसान वहाँ किस प्रकार सताये जाते हैं और उनकी खास शिकायतें क्या है ये सब बातें मुझे मालूम हुई! मैंने उनका उपाय सुझाया और किसान खुशी-खुशी सुनते रहे। इस प्रकार सभा का कार्य कर चुकने पर दूसरे दिन कहारों के कन्धे पर बैठ के मैं नारायणपुर स्टेशन तक गया। वहीं गाड़ी पकड़ के बिहटा लौटा । साथ में अाधम के लड़कों के लिये एक भुट्टा भी लेता गया। बोरा