पृष्ठ:काश्मीर कुसुम.djvu/९६

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और जलोदिजा सका पालिन क्षत्रियों का समूह जो अग्नि, सूय, चन्द्रमा और नागवंग काा था क्षत्रिय संस्कार पाकर भी वैश्वधर्म में निष्ठ हुआ इत्यादि । ____ इनका विशप बर्णन भविष पुराण के एवाई में जो लिखा है उस से और भी निश्चय होता है कि ये सब जलिय . इन होकों को संस्थात ऐसी सहज है कि अर्थ न्ति रखने वाी श्रावय बाता नहीं • निधान्त यह है कि वेश्यों को वा दुसरी वृत्ति करनेवाले क्षत्रिय जो पंजार देश हैं वे क्षत्रिय ही हैं किन्तु परशुराम जो के ममय से वहां के क्षत्रियों का बुद्ध संस्कार छूट गया है और ऐसे लोगों को एक पृथक जाति, खस्रो रोड़े भाटिये इत्यादि हो गई है . इस विषय के दोनो अध्याय यहां प्रकाशित किए जाते हैं । रातउवाच । एवं बहुबिधे देश स हत्वा क्षत्रियर्षभान् । गतो पञ्चनदे देवो क्षत्रियान्वय सदनः ॥ १ ॥ तत्र प्रासान् महाशूरान क्षत्रियान् रगा दुर्मदान् । युयुधे ति बनो रामः साहाना राय गांशजः ॥ २ ॥ जनन्चा जनितो लोक कः शरी यस्तु पार्थिवान् । पाजालान् जयते युद्ध विना नारायां स्वयं ॥ ३ ॥ सर्लान् हत्या महाराजान् क्षत्रियान् सद्विजोत्तमः । रुरुधे पङ्कज बने यथा मत्त हिपाधिपः ॥ ४ ॥ एवं हत्वा रगो शूगन् ततधान् र गण दुमदान् ।। प्रवृत्तो वृद्धकालोपु हन्तुं क्रोधाकुले क्षणः ॥ ५ ॥ हो हाया।रो सहानासी सत्र क्षत्रिय पर्यये । नाटी वृद्धाश्च बाजाश्च मुमुहु भयविह्वलाः ॥ ६ ॥ हतेषु तेषु शूरेषु बालहषु च क्रमात् । अनाथाश्चाभवन् सर्वाः क्षत्रियाण्यो हतान्वयाः ॥ ७॥