रामायता का समय। ( रामायण बनने के समय की कौन कौन बाते बिचार करने के योग्य हैं) पुराने समय की बातों को जव सोचिये और विचार कीजिये तो उन का ठीक ठीक पता एक ही बेर नहीं लगता, जितने नये नये अन्य देखते जाइये उतनी ही नई नई बातें प्रकट होती जाती हैं। इन विद्या के विषय में बुद्धि- सानों के आजकल दो सत हैं। एक तो वह जी बिना अच्छीतरह सोचे,विचार, पुराने अंग्रेजी विद्वानों की चाल पर चलते हैं और उसी के अनुसार लिखते पढ़ते भी हैं और दूसरे वे लोग जिन को किसी बात का हठ नहीं है जो बात नई जाहिर होती गई उन को सानते गये। दूसरा सत बहुत दुरुस्त और ठीक तो है पर पहिला मत मानने वालों को ऐंटिकोरियन(Antiquarian)बनने का वड़ा सुभीता रहता है। दो चार ऐली बंधी बातें हैं जिन्हें कहने ही से वे रें- टिकेरियन हो जाते हैं । जो सूर्तियां मिले वह जैनों की है, हिन्दू लोग ता- तार से वा और कहीं पच्चिस से पाये होंगे, आगे यहां सूर्ति पूजा नहीं होती थी, इत्यादि , कई बातें बहुत मामूली हैं जिन के कहने ही से आदमी ऐंटि- के रियन हो सकता है। जो कुछ हो इस बात को लेकर हम इस समय हुज्जत नहीं करते, हम सिर्फ यहां बाल्दीकीय रामायण में से ऐसी घोड़ी सी बातें चुन कर दिखाते हैं जो बहुत से विद्वानों की जानकारी में आज तक नहीं आई हैं। ___रामायण बनने का समय बहुत पुराना है यह सब मानते हैं, इस से उस में जो बातें मिलती हैं वे उस जमाने में हिन्दुस्तान में बरती जाती थीं यह निश्चय हुआ। इस से यहां वही बाते दिखाई जाती हैं जो वास्तव में पुरानी हैं पर अब तक नई मानी जाती हैं और विदेशी लोग जिन को अपनी कह कर असिमान करते हैं। रामायण कैसा लुन्दर ग्रल है और इस की कविता कैली सहज और मीठी है इसे जिन लोगों ने इस की लैद की है वे अच्छी तरह जानते हैं कहने की आवश्यकता नहीं, और इस में धयनीति कैसी अच्छी चाल पर कही है यह भी सब पर प्रकट ही है इल से हम यहां पर और बातों को छोड़ कर केवल वही बातें दिखाना चाहते हैं जो प्राचीन विद्या ( ऐंटीकेटी) से बदन्ध रखती हैं।
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