पृष्ठ:काश्मीर कुसुम.djvu/६२

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बन्दी का राजबंश। दोहा। चार बैद प्रिय 'चार पद, चारहु जुग परमान । जयति चतुरभुज जासुजग, बिदित वंस चौहान ॥ १।। बंदीराज प्रसिद्ध अति, राजपुताना देस । जहं के भारत में प्रगट, हाड़ा नाम नरेस ।।२।। यह तिनको बंशावली, छत्रिनहित सानन्द । लिखी पतिहि संक्षेप में, ग्रन्यन सो हरिचन्द ॥ ३ ।। बाबू हरिश्चन्द्र लिखित । पटना। "खगविलास" प्रेस-~-बांकीपुर । साइम प्रसाद सिंह ने छाप कर प्रकाशित किया । १८८