[ ५ ] सरती समय लिख गया था कि तारावाई के पोते राजाराम को गोद लेकर हमारा गद्दी पर विठा कर राज काज पेशवा करें। ___ राजाराम सन् १७४८ ई० में नास सात्र का राजा हो कर सन् १७७० तक राज्य करके अपुत्र मरा फिर शिवाजी के. सांजे के वंश का एक पुरुष दत्तक लेकर साडू महाराज को नाम से गद्दी पर बिठाया जो सन् १८०८ ई० में मरा और उसके पीछे उसका पुत्र प्रताप सिंह गद्दी पर बैठा इसकों सन् १८१८ में सर्कार अगरेज बहादुर ने पेशवा के राज्य से बहुत सा सुल्ला दिया पर सन् १८४८ में इस पर दोषारोप होने से अगरेजों ने इसे निकाल कर इसके छोटे भाई शाहाजी को गद्दी पर बिठाया जो सन् १८४८ ई० में नि- वंश मर कर इस वंश का अन्तिम राजा हुआ और उसका सारा राज्य सारी राज्य में मिल गया। इति १ला आग । टूसरा भाग। बालाजी विश्वनाथ ने पेशवा होकर सैंयदों की सहायता स दिल्ली के परतंत्र बादशाह से अपने स्वामी का गया हुआ सब राज्य फेर लिया। और छः वर्ष पेशवाई करके सन् १७२० में सास बड़ गांव में मर गया, उसी साल में हैदराबाद के नवाबों का मूल पुरुष निजामुल सुल्क नर्मदा के इस पार पाकर बादशाही सेना से लड़ाई कर रहा था और अपना अधिकार बहुत बढ़ा लिया था। ___साहू राजा ने बालाजी विश्वनाथ को बड़े पुत्र वाजीराव को पेशवाई का अधिकार दिया। यह मनुष्य शूर और युद्ध में बड़ा कुशल था और उसका छोटा भाई चिमनाजी आप्या भी बड़ा बुद्धिमान और बीर था और अपने बड़े भाई को राज्य और लड़ाई के कामों में बड़ी सहायता करता था । नि- जासुल सुल्क से इसने तीन लड़ाई बड़ी भारी २ जीती और गुजरात मालवा इत्यादि अनेक देशों पर अपना खतियार कर लिया। और अपनी सेना ले. कर सारे हिन्दुस्तान को लूटता और जीतता फिरता था । संधिया हुल्कार और गाइकवाड़ ने इसी के समय उत्कर्ष पाया पर सेंधिया के पुरुषा पहले से बादशाही फौज के सरदारों में थे। वरञ्ज कहते है कि औरङ्गजेब ने इन्हीं को पुरुषों में से किसी की बेटी साहुराजा को ब्याही थी। नागपूर वाला ने भी इसी के समय राज पाया। चिमनाजी आपा ने पोर्तुगीज लोगों से
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