पृष्ठ:काश्मीर कुसुम.djvu/३६

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१०८ जस्सदेव ४३.६।८।२२। २३ १४९ जगदेव ४३२०८।२२ १५० राजदेव ४३४३ वा२२ १५१ संग्रामदेव ४३५थपा२२ १५२ रामदेव ४३८.८।२२ १५३ लक्ष्मणदेव ४३८२३१२४ १५४ सिंहदेव * ४३८८७।२४ १५५ सिंहदेव (२) ४४१७।७।२४ १५६ श्रीक्छिण ४४२०१४।२४ १५७ कोटारानी ४४३७१७।२४ । २५ । वीप्यदेव का भाई था. खब्तो था. किसी को मरा से १८ वरन् । ११८३ १४ १२०८ १२३९ १९२० २२४७ १२०६ | २१ १२६८ १२२० ३।४ १२८१ १२६१ ।१४18 १२८२ १२७० १३१८, १२८४ ३ । २ | ट्रायर के मत से नाम उदयदेव. भीटवंश का । १३३४ | १२८४ १६.१ | रिछन सुलतान के काल में द्वितीय कालखरूप दुलच नामक मुगल ने ( जो न मुसल्मान था न हिन्दू) कश्मीर में प्रवेश कर के वहां के नगर मन्दिर अहा- लिका वगीचा सब निमल कर दिया और मनुष्यों को घास की आंति काट कर देश उजाड़ कर दिया. मानों आर्यों का राज्य नाश होता है यह समझ कर ईखर ने कश्मीर की प्राचीन शोभा ही शेष नहीं रक्खी. फिर कोटारानी के साथ उसके पालित दास शाहमीर ने बिखासघात और कृतघ्नता करके अपने को राजा बनाया. और कोटा से विवाह करने को वि चारी को तंग किया. पहले कोटा भागी किन्तु पकड़- श्राने पर याद करना स्वीकार किया. व्याह की मह. २८