पृष्ठ:काश्मीर कुसुम.djvu/३४८

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घास रहे उस का श्रीमती अभिमान के साथ स्मरण करती हैं। श्रीमती इस बात पर भरोसा रखकर कि आगे को भी सब अवसरों पर आप लोग उसी तरह मिल जुन्त कर अपने भारी कर्त्तव्य को सचाई के साथ पूरा करेंगे, अपने हि- न्दुस्तानी राज में मेन्त और अमन चैन बनाए रखने का विश्वास का काम आप लोगों ही को मपुर्द करती हैं। हे वालट्टीयर सिपाहियो,-आप लोगों के याजभक्ति पूर्ण और सफल यत जो इस विषय में हुए हैं कि यदि प्रयोजन पड़े तो आप सरकार की नियत सेना के साथ मिलकर सहायता करें इस शुभ अवसर पर हृदय से ध. न्यबाद पाने के योग्य है। हे इस देश के सरदार और रईस लोग,-जिन की राजभक्ति इस राज के बन्न को पुष्ट करनेवाली है और जिन की उन्नति इस के प्रताप का कारण है, श्रीमती महारानी आप को यह विश्वास करके धन्यवाद देती हैं कि यदि इस राज के लाभी में कोई बिघ्न डाले या उन्हें किसी तरह का भय हो तो आप लोग उम की रक्षा के लिये तैयार हो जायंगे। में श्रीमती की ओर से और उन के नाम से दिल्ली आने के लिये आप लोगों का जी से खागत करता हूं, और इस बड़े अवसर पर पाप लोगों के प्रकट्टे होने को इंगलि- स्तान के राजसिंहासन की ओर आप लोगों को उस राज राज भक्ति का प्रत्यक्ष प्रमाण गिनता हूं जो श्रीमान प्रिन्स पाव वेल्स के इस देश में आने के समय आप लोगों ने दृढ़ रीत पर प्रकट की थी। श्रीमती महारानी श्राप के स्वार्थ को अपना स्वार्थ समझती हैं, और अंगरेज़ी राज के साथ उस के कर देने वाले और न ही राजा लोगों का जो शुभ संयोग से सम्बन्ध है उस के विश्वास को दृढ़ करने और उस के मेल जोल को अचल करने हो के अभिप्राय से श्रीसती ने अनुग्रह करवी वह राजसी पदवी ली है जिसे आज हम लोग प्रसिद्ध करते हैं। हे हिन्दुस्तान को राज राजेश्वरी के देसी प्रजा लोग,-इस राज की वर्तमान दशा और उस के निता के लाभ के लिये अवश्य है कि उस के प्र- बन्ध को जांचने और सुधारने का मुख्य अधिकार ऐसे अंगरेज़ी अफसरों को सपुर्द किया जाय जिन्हों ने राज काज के उन तत्वों को भली भांत सीखा है जिन का बरताव राजराजेश्वरी के अधिकार स्थिर रहने के लिये अवश्य है। इन्हीं राजनीति जानने वाले लोगों के उत्तम प्रयत्नों से हिन्दुस्तान सभ्यता में