और कारचोबी सलें पड़ी थीं, तोपों की कितारें, सवारों की नंगी तलवारों और मालों की चमक. फरहरी का उड़ना, और दो लाख को अनुसान तसासा देखने वान्तों की भीड़ जो सैदान में ठटी थी ऐसा समा दिखताती थी जिसे दे रह जो जहां था वहीं इका बक्का हो खड़ा रह जाता था। वाइसराय को सिंहासन के दोनों तरफ हाइलैन्डर लोगों का गार्ड आव आनर और नाजेवाले थे, और शासनाधिकारी राजाओं के चबूतरे पर जाने के जो रारत वाहर की तरफ थे उन के दोनों ओर भी गार्ड प्राव भानर खड़े थे । पौने बारह बजे तक सब दरबारी लोग अपनी अपनी जगहों पर आ गए थे। ठीक बारह बजे श्रीयुत वाइसराव की सवारी पहुंची और धनुष्खंड आकार के चबूतरों को नियों के पास एक छोटे से रामे के दरवाजे पर ठहरी । सवारी के पहुंचते ही बिलकुल फौज ने शस्त्रों से सलामो उतारी पर तो नहीं छोड़ी गई । खेमे में श्रीयुत ने जाकर सार गाव इन्डिया के परम प्रतिष्ठित पद के ग्रांड मासूर का वस्त्र धारण किया। यहां से श्रीयुत राजसो छत्र के तले अपने राजसिंहासन को ओर बढ़े। बोलेडोलिटन श्रीयुत के साथ घों और दोनों दामनबरदार बालक जिन का हाल ऊपर लिखा गया है पीछे दो तरफ से दामन उठाए हुए थे। श्रीयुत के आगे २ उन के साफ के अधिकारी लोग थे । श्रीयुत के चलते ही बन्दीजन [ हेरल्ड लोगों ने अपनी तुरहियां एका साथ बहुत सधुर रीत पर बजाई और फौजी बाजे सेग्रन्ड मार्च बजने लगा ! ज व श्रीयुत राजसिंहासनवाले मनोहर चबूतरे पर चढ़ने लगे तो ग्रान्ड मार्च का बाजा बन्द हो गया और नैशनल ऐन्थेस अर्थात् [ गाडसेव दिक्कोन-ईश्वर महारानी को चिरंजीव रक्खे ] का बाजा बजने लगा और गार्डम प्राव अानर ने प्रतिष्ठा के लिये अपने शस्त्र सुका दिये। ज्यों ही श्रीयुत राज सिंहासन पर सुशोभित हुए बाजे बन्द हो गए और सब राजा महाराज जो वाइसराय के आने के समय खड़े हो गए थे बैठ गए । इस के पोछे श्रीयुत ने मुख्य बन्दी [ चीफ हेरल्ड ] को पाना की कि श्री सतो महारानी को राजराजेश्वरी की पदवी लेने के विषय में अंगरेजी में -जाज्ञा पत्र पढ़ो। यह आना होते ही बन्दीजनों ने जो दो पांती में राज्य सिं- हासन को चबूतरे के नीचे खड़े थे तुरही बजाई और उस के बंद होने पर सुख्य बंदी ने नीचे को सोढ़ी पर खड़े होकर बड़े ऊ'चे स्वर से राजानापन्न पढ़ा जिस का उल्था यह है :-
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