से इतनी मनोहर रीत पर बात चीत करते थे जिस से सब मगन हो जाते थे और ऐसा समझते थे कि वाइसराय ने हमारा सन से बढ़ कर पादर सत्कार किया। भेंट होने के समय श्रीयुत ने हर एक से कहा कि आप से दोस्ती करको हम अत्यन्त प्रसन्न हुए, और तगमा पहिनाने के समय भी बड़े लेह से उन की पीठ पर हाथ रखकर बात की । , १ जनवरी को दरबार का महोत्सव हुआ। यह दरबार जो हिन्दुस्तान के इतिहास में सदा प्रसिद्ध रहेगा एक बड़े . भारी मैदान में नगर से पांच सील पर हुआ था । बीच में श्रीयुत वाइसराय का षट्कोण चबूतरा था जिस की गुबदनुमा छत पर लान्त कपड़ा चढ़ा और सुनहला रुपहला तथा शीशे का काम बना था। कंगुरे के ऊपर कल से की जगह श्रीमती राजराजेश्वरी वा सुनहला सुकुट लगा था । इस चबूतरे पर श्रीयुत अपने राजसिंहासन में सुशोभित हुए थे। उन के बनान्त में एक कुरमी घर लेडो माहिव बैठी थीं और ठीक पीछे खवास लोग हाथों में चंवर लिये और श्रीयुत के ऊपर कारचोबी छत्र लगाए बड़े थे । वाइसराय के सिंहासन के दोनों तरफ दो पेज ( दासन बरदार ) जिन में एक श्रीयुत सहाराज जस्ज का अत्यन्त सुन्दर सब से छोटा राजकुमार, और दूसरा कर्नल बर्न का पुत्व था; खड़े थे, और उन के दहने बाएं और पीछे मुसाहिब और से क्रिटरी लोग अपने २ स्थानों पर खड़े थे । वाइसराय वो चबूतरे के ठीक सामने कुछ दूर पर उस से नीचा एक अर्धचंद्राकार चबूतरा था जिस पर शासनाधिकारी राजा लीग और उन के मुमाहिब, मदरास और बम्बई के गवरनर, पंजाब, बंगाल और पथिमोत्तर देश के लेफ्टनेन गवरनर, और हिन्दुस्तान के कमा- न्डरिनचीफ अपने २ अधिकारियों समेत मुशोभित थे। इस चबूतरे की छत बहुत सुन्दर नीले रंग के साटन की थी जिस के श्रागे लहरियादार छज्जा बहुत सजीला लगा था। लहरिये के बीच २ में सुनहले काम के चांद तारे बने थे । राजाओं की कुरसियां भी नीली साटन से मढ़ी थी और हर एक के सामने वे अंड गड़े थे जो उन्हें वाइसराय ने दिये थे, और पीछे अधिका- रियों की कु र मियां न गी थीं जिन पर भी नीली साटन चढ़ी थीं । इच एका राजा के साथ एका २ पोलिटिकल अफसर भी था। इन के सिवाय गवरमेन के भारी २ अधिकारी भी यहीं बैठे थे। राजा लोग अपने २ मान्तों के अतु-
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