मत्य का मनव | १८३२ सन्तति गाईजान का। विशेष विवरण स्यान पुत्र १ कन्या बुगदाद शोया कहते हैं कि सुनियों ने उपद्रव में परव छोड़ कर चले गये. किन्तु सुन्नी कहते है. उस काल के खलीफा वगदाद में रहते थे इ.मसे पादरके हेतु उनको भी वहीं बुला कर. पसाया. ये बड़े भारी वंश कत्ती हुए हैं. ८ पुत्र २२ कन्चा | बुगदाद | भोपा का विशेष प्रचार किया. किन्तु सुन्नी लीग कहते हैं कि ये लोग भी सब सुन्नी थे। ५ पुच १ कन्या बगदाद २ जुत्र कन्या सरननराय २०३ ८० 5 २ पुम १ कन्चो सरमनराय बुगदाद | शीपात्रों के मत से ८ वर्ष की अवस्था में पवंत गहा में चले गए फिर प्रलय के समय निकलेंगे० सुन्नियों के मत से अभी जन्म हो नहीं हुआ प्रलय में पैदा होंगे. १५० मदीना मिम २०४ बुगदाद नं० १८ मे २१ तक ये सुन्नी मत के चार इमाम हैं शीश्रा इन को नही मानतेरी चारो पृषक मत के प्रवर्तक हैं यथा हानिफी मालि ती शाफई और .स्व लो. भक पर के वेंश के बादशाह हानिफा घे. दत्तात्रय को भांति अबू नौफा ने अनेक गुरू किए थे. जिन में इमाम नाफर भी थे. सुन्नियों में इन्ही धारें। को चार मुख्य मत शाखा हैं. ये क्रम से एक के दूसरे शिप्य भी थे। | मुन्नियें। में ये एक प्रसिद्ध इमाम हुए हैं ह- सनी हुसैनी सैयद थे और बड़े भारी बिहान और सिद्ध थे० शोभा लोग इन को नहीं मा. नते हैं बरंच सैयद भी नहीं कहते. २४२ बगदाद ५.६२ बु गदाद
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