पृष्ठ:काश्मीर कुसुम.djvu/३२१

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है। तुमारी बुद्धि अत्यन्त दुष्ट हुई है। तुमारी यह उक्ति सब पापों से बढ़कर है। जो यह सुविशाल नभोमण्डल कारचयिता है, उस की तुम परीक्षा कर- ने क्या जानो ? तुम अपना शुभाशुभ तो जानते ही नहीं हो। पहिले अपनी परीक्षा करो, पीछे दूसरे की परीक्षा करना पथ प्रदर्शक अग्रगामी गुरू को जो शिष्य परीक्षा करता है वह मूर्ख हैं। जिस को तुम ने परीक्षक किया है हे अविश्वासी यदि उन्हीं की धर्म मार्ग में तुम परीक्षा करो तो तुमारी दु:- साहसिकाता और मुर्खता प्रकाश होगी। तुम ईश्वर की क्या परीक्षा करोगे ? धूलि कणिका क्या पर्वत को परीक्षा कर सकती है ? मनुष्य अपने बुद्धि गत अनुमान से तुला यन्त्र प्रस्तुत करके ईश्वर को उस में स्थापन करने जाता है किन्तु ईश्वर बुद्धि के अनायत्त हैं उन के द्वारा बुद्धिनिर्मित परिमाण यन्त चूर्ण हो जाता है। ईश्वर को परीक्षा करना और उन को प्रायत्त करना एक- ही है। तुम एतादृश महाराज को अायत्त करने की चेष्टा मत करो, चित्रित बस्तु किस प्रकार से चित्रकार की परीक्षा करेगा। उन के असीम ज्ञान में जो सब चित्र विद्यमान हैं उन के पास परिदृश्यमान विश्वचित्र क्या पदार्थ है। जब परीक्षा ग्रहण को कुबुद्धि के हारा तुम अाकान्त होते हो, तब जा- नना तुम को संहार करने के लिए दुर्भान्य उपस्थित हुआ है । अकस्मात् ईश्वर में ऐसी कुबुद्धि उपस्थित हो तो अमिष्ठ प्रणत होना । भूमि को शोकाश्रु स्त्रोत से अभिषिक्त करना और कहना हे ईश्वर ! इस कुचिन्ता से हमारी रक्षा करो। तब परम परीक्षक ईश्वर तुम को रक्षा करेंगे।

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इमाम हसन और इमाम हुसैन ।

महात्मा मुहम्मद के जन्म का समाचार पूर्व में लिखा जा चुका है। इन को १८ सन्तति हुई किन्तु वंश किसी के आगे नहीं चला केवल बोबो फा- तिमा को वंश हुआ। यह बीबी फातिमा आदरणीय अली से व्याही थी । जब तक यह जीती थीं और बिवाह आदरणीय अली ने नहीं किया केवल इन्ही को अली मान कर इन्ही के सुखपंकज के अली बने रहे । बीबी फातिमा को पांच सन्तति हुई, तीन पुत्र इसन हुसैन और सुहसिन, और जैनब और उम्म कुन्तसूम यह दो बेटियां थीं। इन में मु सिन छोटे पन ही में मर गए । अन्नी ने बीबी फातिमा के मरने के पीछे उमुल नवीन स्से विवाह