धे उस समय एक व्यक्ति का रोने का शब्द सुन पड़ा, वह कन्दन का लक्ष
करके वहां उपस्थित हुए देखा कि एक दरिद्र अन्ध वृद्ध पाकुन्त होकर रो रहा
है, हसन ने रोने का कारन पछा तो वह बोला कि प्रतिदिन रात को एक
महापुरुष पाकर हम को आहार देते थे और सुमिष्ट वचन से परितोष करते
थे। आज तीन दिन से वह नहीं आते हैं, और वह मधुर वचन नहीं सुननें
पाते हैं, इस अनाहार हैं। हसन ने पूछा, उन का नाम क्या है । अन्धा बोला
उन्हों ने हम को अपना परिचय नहीं दिया। परिचय पूछने से वह कहते थे,
हमारे परिचय से तुम्हारा कोई प्रयोजन नहीं है तुम हमारी सेवा ग्रहण करो।
उन का कंठस्वर ऐसा था, वह अल्ला अल्ला की सदा ध्वनि करते थे । हसन
अन्धे की बात से जान गए कि वह महापुरुष उन के पिता थे। तब अनुपात
करके बोले, कि आज वह महात्मा परलोक सिधारे हैं। अभी उन की अन्ते-
ष्टि क्रिया समाधान करके हस चले आते हैं । च यह सुनकर शोक से म-
छित हो गिर पड़ा। पीछे रोते होते बोला तुम लोग हम को अनुग्रह करके
उन की पवित्र समाधि सुसि में ले चलो। इसन हाथ पकड़ कर वृद्ध को
वहां ले गए । वृद्ध ने वहां शोक और अनाहार से प्राण त्याग किया।
एक दिन किसी विपथगामी ईश्वर विरोधी व्यक्ति ने परम में मिक अली
से पूछा था कि, हे ज्ञानवान अली ! ग्टद चढ़ा और उच्च प्रासादशिखर पर
भी ईश्वर तुमारे रक्षक हैं यह तुम स्वीकार करते हो ? अली बोले “ हां,
शैशव में यौवन में सर्वक्षण प्रस्थान में वह हमारे प्राण के रक्षक हैं।” यह
बात सुनकर वह बोला, तुम अपने को इस अट्टालिका पर से गिरा कर ईश्वर
तुम को रक्षा करते हैं इस विश्वास की पूर्णता प्रदर्शन करो, तब तुमारे वि-
श्वास का हम विश्वास करेंगे और तुमारी ईश्वर निष्टा प्रमाण युक्त होगी।
तब अली बोले, चुप रहो और चले जात्रो और स्पर्धा करके जीवन को क-
लंकित मत करो। मनुष्य की क्या साध्य है कि ईश्वर को परीक्षा में बुन्तावै ।
केवल उन को परीक्षा करने का अधिकार है, वह प्रति मुहूर्त में मनुष्य के
निकट परीक्षा उपस्थित करते हैं। वह हम लोगों के पास हैं, । हम लोग
क्या है वह प्रकाश कर देते हैं। अन्तर में हम लोग किस भांति धर्म आव
रखते हैं वह दिखला देते हैं। कीन सतुj ईश्वर को ऐसी बात कह सकता
है कि यह सब पाप अपराध करके हम ने तुम्हारी परीक्षा किया। हे ईश्वर !
देखें तुमादी कितनी सहिष्णुता है। हा! ऐसा कहने का किस को अधिकार