पृष्ठ:काश्मीर कुसुम.djvu/३१८

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[ ११ 1 ने कहा कहो क्या कहती हो? फातिमा ने कहा हमें चार बात कहनी है, पहलो यह कि हम तुमारे संग बहुत दिन तक रहे यदि हम से कोई अप- राध हुआ हो तो क्षमा करो अन्ती रोने लगे और बोले कभी तुम ने आज तक कोई ऐसी बात हो नहीं किया जो हमारे प्रतिकूल हो प्यारी ! तुम तो सर्वदा हमारो मनोरञ्जनी रहीं भूल कर भी तुम ने हम को कोई कष्ट नहीं दिया तुसने सब आपत्ति अपने ऊपर सहन किया परन्तु हम को दुख न दिया तुम उपकारणो थी अपकारणो नहीं तुम को हम ने कोमल पुष्पमाला की भांति अपने हृदय पर धारण किया कण्टक की भांति नहीं । बोलो और बोलो और कौन बात है फातिमा ने कहा दूसरे यह कि हमारे प्यारे हसन हुसैन की रक्षा करना जिस लाड़ प्यार और राव चाव से हमने ठन को पाला है. उसमें कुछ न्य नता न हो उनकी सब अभिलाषा पूरी करना तीसरे यह कि हमारे शव को रात्र को भूमिशायी करना क्योंकि जीवन दशा में जैसे पर पुरुष की दृष्टि हमारे शरीर पर नहीं पड़ी है वैसाही पीछे भी हो चौथे हमारी समाधि पर कभी २ आजाना इतने में हसन हुसैन भी आगए और माता को यह अवस्था देख कर बहुत रोने लगे फातिमा ने किसी प्र- कार समझा कर फिर बाहर भेजा और दासी को बुला कर बोबी फातिमा ने स्नान किया और एक धौत वस्त्र परिधान करके एक निर्जन ग्रह में दक्षिण पाखं से शयन करके ईश्वर का स्मरण करने लगीं इसी अवस्था में उन्हों ने परलोक गमन किया। आदरणीय अली की मृत्यु का समाचार । परम धार्मिक सुप्रसिद्ध अली मुसलमान धर्म के प्रवर्तक हजरत महम्मद के जामाता और शोमा सम्प्रदाय के पहिले एमाम ( आचार्य) थे। हजरत महम्मद के लोकान्तर गमन पीछे मुसलमान धर्म को स्थिति और उन्नति अली केही ऊपर निर्भर थी। जैसे भक्तिभाजन ईसा को उनके शिष्य जूड़ाने बिंशत सुद्रा के लोभ से शत्रुहस्त में सम्पर्ण करको वध किया था वैसेही इबन्सुलज़म ___* इफताम अरबी में बच्चे को दूध से छुड़ाने को कहते हैं, इनका फा- तिमा नाम इसी हेतु पड़ा था कि छोटेपनही में इन की माता की मृत्यु हुई थी।