[ ८ ] छोड कर सता धर्म के प्रकाश पात्रो एक परमेश्वर की भक्ति री, परस्पर वैर का त्याग और आपस में प्रीति करो। अनेक स्त्रियां फातिमा का यह अतुल प्रभाव देख कर उसी समय मुसलमान हुई और जिन्हों ने उन का धर्म नहीं-हन किया उन्हों ने भी उन का बड़ा आदर किया। किसी विशेप न ग के कारण इन का मृत्यु नहीं हुआ। पिट वियोग का शोक ही इन को मृत्यु का मुख्य कारण है। कहते है कि महात्मा सहमद के मृत्यु के पीछे फातमा शोक से अत्यन्त विद्वल रहों किसी भांति भी इन का बोध नहीं होता था, रात दिन रोतो थी और वारय्वार मर्छित हो जाती थों एक दिन उन्हों ने कुछ खप्न देखा भौर मृत्यु के हेतु प्रस्तुत होकर अपने प्रिय स्वामी श्रा-रणीय अली को बुला कर कहा “ कल पिटदेव को स्वप्न में देखा है जैसे वह चारो ओर नेत्र फैला कर किसी के मार्ग को प्रतीक्षा कर रहे हैं हम ने कहा पिता ! तुमारे विच्छेद से हमारा हृदय विदग्ध और शरीर अत्यन्त जीर्ण हो रहा है उन्हों ने उत्तर दिया पुत्री ! हम भी तो मार्ग ही देख रहे हैं फिर हम ने अंचे स्वर से कहा पिता ! आप किस का मार्ग देख रहे हैं तब उन्हों ने कहा कि तुम्हारा मार्ग देख रहे हैं पुत्बी फातमा! हमारा तुमारा वियोग बहुत दिन रहा इस्से तुमार विमा अव हमारे प्राण व्यात है तुमारे शरीर त्याग का समय उपस्थित है अव तुम अपनी आत्मा को शरीर सभ्य शब्च करी इस निकृष्ट संकीर्णजगत का परित्याग करके उस प्रसारित उन्नत देदीप्यमान भानन्दमयजगत में ग्रहस्थापन करो संसार रूपी लेश कारागार से छुट कर नित्य सुखमयपरलोक उद्यान की पोर यात्रा करो फातिमा ! जब तक तुम न पायोगी तब तक हम नहीं जायगे हम ने कहा पिता ! इस भी तुम्हारी दर्शनार्थी है तुम्हारी सहवास सम्पत्ति लाभ करें यही हमारी भी आकांक्षा हैं इस पर उन्हों ने कहा तो फिर विन्तम्ब मत करो कलही हमारे पास पात्रो इस को पीछे हमारी नींद खुली, अव उस उन्नत लोक में जाने के लिये हमारा हृदय.व्याकुल है हम को नियय है कि आज सांझ या पहर रात तक हम इस लोक का त्याग करेंगे हमारे पीछे तुम अ- त्यन्त शोकाकुल रहोगे इससे जिसे हमारे सन्तान भूखे न रहें हम आज रोटी कर के रख देते हैं और पुत्र कन्या का वस्त्र भी धो देते हैं हमारे पीछे यह कौन करेगा इस हेतु हम आप ही इन कामों से छुट्टी कर रखते हैं हमारे अभाव में हमारे प्यारे पुनों को कौन प्यार करेगा ? हमारी इच्छा थी कि
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