पृष्ठ:काश्मीर कुसुम.djvu/३१४

यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

जायगे। वहां और स्त्री लोग महामूल्य वस्त्राभरणादिक धारण कर के प्रा- देंगी और हमारी फटी चद्दर देखकर वे लोग हमारा और पाप का उपहास कनिंगो अवजुहल को बहिन पानवा की स्त्री और शिवा की बेटी इत्यादि अनेक अरव की स्त्री कौसी असभ्यचारिणी और मन्द प्रकृति हैं यह आप भली भांति जानते हैं और हसालन को बेटी आप के चलने की राहमें कांटा बिछा अाती थी तथा अबुस फिनान की स्त्री को श्रापको निन्दा के सिवा और कोई कामही नहीं है यह भी आप को अविदित नहीं । सब उस सभा में उपस्थित रहेंगी और रूम और मिस्र के बहुमल्य अलङ्कार धारण कर के मणि पीठ के ऊ'चे आसन पर बड़े गर्व से बैठेगो उस सभा में आप की कन्या को एक मैली फटी पुरानी चद्दर कोढ़ कर जाना होगा । हम को देखकर वे सब कहेंगी कि इस कन्या को क्या हुआ । इसकी माता की अतुल सम्पत्ति क्या होगई जो इस वेश से यह यहां आई है। पिता ! इन लोगों को धमन्नान और अन्तरचछु नहीं है केवन्त जगत के वाह्याडम्बर में भूले हैं इस से इस को देख कर वह आप की निन्दा करेंगी और केवल हमारे कारण आप का अपमान होगा। फातिमा पिता से यह कहती थीं और उन के नेत्रों से जल बहता था। पहात्मा महम्मद ने उत्तर दिया बेटी ! तुम किञ्चिन्यात्र भी सोच मत करो। हमारे पास उत्तम वस्त्राभरण और धन तो निस्सन्देह कुछ भी नहीं है परन्तु निश्चय रक्खो कि जो आज लाल पीले वस्त्र पहन कर ग्राहकार के उद्यान में फली फूली दिखाई पड़ती हैं वे अपने दुष्की से कल तृण से भी तुच्छ होकर नर्क की अग्नि में जलेंगी। हम लोगों का वस और शोभा वैराग्य है। महात्मा महम्मद और भी कुछ कहा चाहते थे कि फातिमा ने कहा पिता ! क्षमा कीजिये अब बिलम्ब करने का कुछ प्रयोजन नहीं पाप की आज्ञा इम को सर्वथा शिरोधार्य है। ___ यह कहकर बीबी फातिमा घर से निकली * और उस बिवाह सभा की ओर अकेली चलीं परन्तु लिखा है कि ईश्वर के अनुग्रह से उन के अङ्ग पर दिव्य अमल्य वस्त्राभरण सज्जित हो गये । कुरेशवंश में और अरव की स्त्री लोग अभिमान से फातिमा की मार्ग की परीक्षा कर रही थी और कहती ____* हमारे पुराणों में भी लिखा है कि सती जब उदास होकर दक्ष के यन में बिना सिंगार किये ही चली तो मार्ग में कुबेर ने उन को उत्तम २