पृष्ठ:काश्मीर कुसुम.djvu/३१२

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हौर उन के निकट एक ईश्वर के धर्म में दीक्षित हुए थे । ईश्वर को भाजा. पालन के लिए वह दश बरस मक्षा नगर में अपरिसीम क श और अत्याचार सहन करके पीछे मदीना नगर में चले गए। वहां शत्रु गन से प्राकान्त होकर उन लोगों को अनुरोध से और प्राचाहन से युद्ध करने को बाध्य हुए। वह विपन्न अत्याचारित होकर कभी तनिक भी भीत और संकुचित नहीं हुए थे। जितनी वाधा और विघ्न उपस्थित होता था उतना ही अधिक उत्सा- हानल से प्रज्वलित हो उठते थे । सब विघ्न अतिक्रम करके अटल विश्वास से वह ईश्वरादेश पालन व्रत में दृढ़ व्रतो थे । वह ईश्वर और मनुष्य के प्रभ भृत्य का सम्बन्ध अपने जीवन में विशेष भांति प्रदर्शन करा गए हैं। वह स्वामी आदेश शिरोधार्य करके खर्गीय तेज और अलौकिक प्रभाव से कोटि कोटि मनुष्य को अन्धेरे से ज्योति में लाए। लक्ष लक्ष जन का संसारिक बल एक विमास के बल से चूर्ण करके जगत में अद्वितीय ईश्वर की महिमा को म- द्वीयान् किया । एकेश्वर की पूजा और सत्य का राज्य प्रतिष्ठित किया । प्रमें का आटेशपालन हेत सब प्रकार का दारिद्र लश अपमान और प्रात्मीय जन का निग्रह अम्लान बदन से सिर नीचा करके सहन किया। धन्य ! ईश्वर के विश्वास किङ्कर महम्पद ! आज सुसलमान धर्म के प्रवर्तक ईश्वर के आज्ञा- कारी विश्वस्त भृत्य मुहम्मद के नाम और उन के प्रवर्तित पवित्र एकेश्वर के धर्म में एशिया से योरोप आफ्रिका तक कोटि कोटि मुसलमान एक सूत्र में अथित हैं । वह ऐसा आश्चर्य धर्मा का वन्धन जगत में संस्थापन कर गए हैं कि आज दिन उस के खोलने को किसी को सामर्थ्य नहीं हैं। बीबी फातिमा । अब इस लोग उस का जीवनचरित्र लिखते हैं जिस को करोड़ों मनुष्य सिर झुकाते हैं और जिस के दासन से प्रलय पोछे करोड़ों मनुष्य को ईश्वर के सामने अपने अपराधी को क्षमा मिलने की आशा है । यह बीबी फाति- सा मुसलमान धमाद्याचार्य महात्मा मुहम्मद की प्यारो कन्या थी। महात्मा मुहम्मद जैसे दुहितृभत्सन्न थे वैसे ही बीबी फातिमा पिटभक्त थीं। यह वाल्यावस्थाही में साटहीना होगई क्योंकि इनकी माता महात्मा सुहम्मद की प्रथमा स्त्री बीबी ख़दीजा इनको शैशवावस्थाही में छोड़ कर परलोक सिधारी । यदापि महात्मा सुहम्मद को अनेक सन्तति थीं पर औरों का कोई